नैनीताल. खूबसूरत शहर अब लगातार दरकते पहाड़ों और बढ़ते भूस्खलन के कारण खतरे में नजर आने लगा है। बीते कुछ सालों में यहां की पहाड़ियों में भू-स्खलन की घटनाएं जिस तेज़ी से बढ़ी हैं, वहीं बीते दिनों कई  सोशल मीडिया के माध्यम से नैनीताल के आसपास की पहाड़ियों में हो रहे भूस्खलन के मामले सामने आए हैं। अभी मानसून का सीजन चल ही रहा है, ऐसे में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ विशेषज्ञों की चिंता भी बढ़ चुकी है।

विशेषज्ञों के अनुसार नैनीताल की भौगोलिक स्थिति इसकी भूसंवेदनशीलता का मुख्य कारण है। यहां की मिट्टी की संरचना, जलनिकासी की अव्यवस्थित प्रणाली और अंधाधुंध निर्माण कार्य इस संवेदनशीलता को और बढ़ा रहे हैं। मानसून के दौरान जब ज़ोरदार बारिश होती है, तो पहाड़ियों की भार वहन क्षमता कम हो जाती है। जिससे भू-स्खलन की घटनाएं तेजी से सामने आती हैं। आईआईटी रुड़की और वाडिया इंस्टीट्यूट के भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल को मध्यम से उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में चिन्हित किया है। उनका मानना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, जैसे निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण, जलनिकासी का समुचित प्रबंधन  और नियमित भू- निरीक्षण, तो भविष्य में किसी बड़ी त्रासदी से इनकार नहीं किया जा सकता। नैनीताल तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा है और इसकी नींव बलिया नाले पर टिकी है। यह नाला वर्तमान में गंभीर क्षरण की स्थिति में है, जिसमें ट्रीटमेंट कार्य चल रहा है।

वहीं, निहाल नाले में भी लगातार भू-कटाव देखा जा रहा है। शहर की पहाड़ियों जैसे ठंडी सड़क से ऊपर, स्नो व्यू, शेर का डांडा, चार्टन लॉज और नयना पीक में लगातार भूस्खलन हो रहा है। जो मानसून के दौरान और भी घातक हो सकता है। भू-तकनीकी विशेषज्ञ भास्कर पाटनी ने चेतावनी दी है कि नैनीताल की पहाड़ियां अत्यधिक संवेदनशील हैं और इनकी भार वहन क्षमता बेहद सीमित है। उन्होंने बताया कि 1880 में आई आपदा में 152 लोगों की मौत हुई थी, और आज भी उसी जैसे संवेदनशील इलाकों में भारी निर्माण कार्य हो रहा है। यदि मानसून में 200 से 250 मिमी तक बारिश होती है,

तो गंभीर भू-स्खलन की आशंका जताई जा रही है।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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