पिछले एक सप्ताह से जिले में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, जो चिंता का विषय है। यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील है और वैज्ञानिकों के अनुसार यहां किसी भी समय बड़ा भूकंप आ सकता है। भूगर्भीय सर्वेक्षण भी इस तथ्य की पुष्टि करता है कि उत्तरकाशी और उसके आसपास का इलाका उच्च भूकंपीय गतिविधियों वाला क्षेत्र है।

बीते एक सप्ताह में उत्तरकाशी में नौ बार भूकंप के झटके दर्ज किए गए हैं। आज भी 9:28am में 2.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी गहराई मात्र 5 किलोमीटर थी। इससे पहले भी कई झटके महसूस किए गए, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं। उत्तरकाशी, बड़कोट, गंगा घाटी और यमुना घाटी में लगातार आ रहे इन झटकों ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बार-बार आ रहे ये छोटे झटके किसी बड़े भूकंप की चेतावनी हो सकते हैं।

उत्तराखंड की भूगर्भीय स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच लगातार घर्षण हो रहा है। भारतीय प्लेट धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसक रही है, जबकि यूरेशियन प्लेट दक्षिण की ओर बढ़ रही है। इस टकराव से उत्पन्न ऊर्जा जब चट्टानों को तोड़ती है, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है और किसी बड़े भूकंप की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में 1991 में भी विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र “सिस्मिक गैप” में आता है, जहां लंबे समय से संचित ऊर्जा कभी भी एक बड़े भूकंप के रूप में निकल सकती है। हालांकि, भूकंप की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं है, लेकिन छोटे-छोटे झटकों को चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए।

भूकंप से बचाव के लिए स्थानीय प्रशासन को आपदा प्रबंधन रणनीति को मजबूत करना होगा। भूकंपरोधी निर्माण को बढ़ावा देना, जनता को जागरूक करना और वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाना आवश्यक है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि नए निर्माण कार्य भूकंपरोधी मानकों के अनुसार हों और पुराने मकानों की संरचनात्मक मजबूती की जांच की जाए। स्कूलों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर नियमित भूकंप अभ्यास कराना भी जरूरी है, ताकि लोग किसी भी आपदा की स्थिति में सही प्रतिक्रिया दे सकें।

उत्तराखंड में बार-बार आ रहे भूकंप के झटके किसी बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। प्रशासन, वैज्ञानिक संस्थान और आम जनता को मिलकर सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे, ताकि किसी भी आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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