परमार्थ निकेतन में वेदान्त कोर्स का शुभारम्भ*

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने विश्व के अनेक देशों से आये योग साधकों की आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का किया समाधान*

वेदान्त केवल दर्शन या बौद्धिक विषय नहीं है, अपितु यह जीवन जीने की कला*

स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 29 दिसम्बर। हिमालय की गोद में, माँ गंगा के पावन तट पर स्थित परमार्थ निकेतन के दिव्य और शांत वातावरण में वेदान्त कोर्स का शुभारम्भ आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्व के अनेक देशों से आये योग साधक, साधिकाएँ और आध्यात्मिक जिज्ञासु वेदान्त के गूढ़ सिद्धान्तों को आत्मसात करने हेतु एकत्रित हुए।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि वेदान्त केवल दर्शन या बौद्धिक विषय नहीं है, अपितु यह जीवन जीने की कला है। वेदान्त हमें यह स्मरण कराता है कि हम केवल शरीर या मन नहीं हैं, बल्कि अनन्त, शाश्वत और दिव्य आत्मा हैं। जब मनुष्य इस सत्य को जान लेता है, तब भय, तनाव और अशान्ति स्वतः समाप्त हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि आज का विश्व बाहरी सुविधाओं से सम्पन्न है, किन्तु आन्तरिक शान्ति के लिए व्याकुल भी है। ऐसे समय में वेदान्त का सुन्दर और सरल मार्ग मानवता के लिए प्रकाश-स्तम्भ है। वेदान्त हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना प्रदान करता है, जहाँ सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है।

इस अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती जी ने वेदान्त को अत्यन्त सरल, व्यवहारिक और हृदयस्पर्शी शब्दों में कहा कि वेदान्त हमें यह संदेश देता है कि सुख बाहर नहीं, भीतर है। जब हम अपने भीतर के साक्षी भाव को पहचान लेते हैं, तब जीवन की प्रत्येक परिस्थिति साधना बन जाती है।

साध्वी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन में वेदान्त का अध्ययन केवल शास्त्रों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि उसे योग, ध्यान, सेवा और करुणा के माध्यम से जीवन में आत्मसात कियाा जाता है। यही वेदान्त की सुन्दरता है कि वह हमें केवल जानकार नहीं, बल्कि जागरूक और करुणामय मानव बनाता है।

वेदान्त कोर्स में भाग ले रहे प्रतिभागी अमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा अन्य अनेक देशों से आये हैं। सभी साधक गहन रुचि के साथ उपनिषदों, भगवद्गीता और अद्वैत वेदान्त के मूल सिद्धान्तों का अध्ययन योगाचार्य गायत्री जी के मार्गदर्शन में कर रहे हैं। सत्रों के दौरान साधकों ने आत्मा, कर्म, मोक्ष, अहंकार, माया तथा जीवन के उद्देश्य से जुड़े अनेक प्रश्न पूछे, जिनका समाधान पूज्य स्वामी जी और साध्वी जी ने अत्यन्त सहजता और स्पष्टता के साथ किया।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वेदान्त का वास्तविक उद्देश्य जीवन को पवित्र, सरल और सेवा-प्रधान बनाना है। जब ज्ञान के साथ करुणा और सेवा जुड़ जाती है, तब वही सच्चा आध्यात्म बनता है। उन्होंने युवाओं को विशेष रूप से प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपनी प्राचीन सनातन परम्परा के इस अमूल्य ज्ञान को अपनाएँ और विश्व में शान्ति एवं सद्भाव का संदेश प्रसारित करें।

परमार्थ निकेतन का यह वेदान्त कोर्स न केवल बौद्धिक ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि साधकों को आत्मिक रूप से सशक्त बनाकर उन्हें संतुलित, जागरूक और संवेदनशील जीवन जीने की प्रेरणा देता है। माँ गंगा की निर्मल धारा, हिमालय की शान्त उपस्थिति और गुरुओं का सान्निध्य इस कोर्स को और भी दिव्य बना देता है।

सभी साधकों ने इस पावन अवसर के लिए परमार्थ निकेतन और पूज्य स्वामी जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की तथा संकल्प लिया कि वे वेदान्त के सुन्दर संदेश को अपने जीवन में उतारकर विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाएँगे।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *