वर्ल्ड इंटीग्रिटी सेंटर इंडिया, देहरादून ने WIC टॉक्स के तहत एक ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया, जिसमें प्रसिद्ध अभिनेत्री व गायिका इला अरुण के साथ प्रसिद्ध अभिनेता व पटकथा लेखक केके रैना शामिल हुए। सेलिब्रेटिंग लाइफ थ एक्टिंग शीर्षक वाले इस टॉक शो का संचालन शांतनु गांगुली ने किया। भारतीय सिनेमा और राजस्थानी लोक संगीत में अपनी पहचान बनाने वाली इला अरुण ने एक गायिका के रूप में अपने सफ़र के बारे में बताया। उन्होंने कहा, मुझे हमेशा राजस्थानी संगीत पसंद रहा है और इसी तरह मैं इससे जुड़ गई। मुझे लगता है की अगर आप संगीत की सराहना करते हैं। तो आप एक अच्छे गायक बन सकते हैं।

मुझे राजस्थानी संगीत बेहद पसंद है, जिसमें बहुत विविधता है और मुझे ख़ुद नहीं पता कि मैंने कब और कैसे गाना शुरू किया, लेकिन अंत में मैं एक गायिका बन कर उभर गई।” उन्होंने अभिनय के प्रति अपने दृष्टिकोण पर भी चर्चा की और कहा, एक अभिनेता के रूप में, आप अवलोकन को एक उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं, और अपने प्रदर्शन को निखारने में गहन अवलोकन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

WIC सिनेमा और थिएटर दोनों में अपने व्यापक काम के लिए मशहूर केके रैना ने एक अभिनेता और लेखक के रूप में अपनी दोहरी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “राजकुमार संतोषी के साथ मेरा जुड़ाव तब शुरू हुआ जब मैं गोविंद निहलानी की ‘विजेता’ कर रहा था। राजकुमार मुख्य सहायक निर्देशक थे और हम अच्छे दोस्त बन गए। जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘घायल’ बनाना शुरू किया, तो मैं उनकी पटकथा लेखन टीम का हिस्सा था, और ज़्यादातर सुनता था और कभी-कभी सुझाव भी देता था। घातक के साथ भी ऐसा ही हुआ। हालाँकि मैं इन फिल्मों का लेखक होने का श्रेय नहीं ले सकता, लेकिन मैंने ‘चाइना गेट’ में एक सहयोगी पटकथा लेखक के रूप में काम किया और डायलॉग में मदद की। मैंने ‘पुकार’ के डायलॉग भी लिखे और ‘देहक’ के लिए पटकथा का निर्माण किया, जिसके 90ः डायलॉग मैंने लिखे। WIC

डबल्यूआईसी इंडिया के निदेशक अंकित अग्रवाल और सचिन उपाध्याय ने कहा, ष्डबल्यूआईसी टॉक्स में इला अरुण और केके रैना जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की मेज़बानी करके हमें गर्व महसूस हो रहा है। सिनेमा और थिएटर में उनकी यात्रा समर्पण, रचनात्मकता और जुनून की शक्ति का प्रमाण है। डबल्यूआईसी इंडिया में, हमारा लक्ष्य एक ऐसा मंच बनाना है जहाँ कलाकार अपने अनुभव साझा कर सकें और अगली पीढ़ी को प्रेरित कर सकें। आज का सत्र सिर्फ़ उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के बारे में नहीं था, बल्कि कला और कहानी कहने का समाज पर गहरा असर समझने के बारे में भी था।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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