religion,धर्म-कर्म और दर्शन -128
religion and philosophy- 128
🌼श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम की उत्पत्ति कैसे हुई 🌼
माँ पीताम्बरा के एक सौ आठ नामों का यह परम पुनीत स्तोत्र है, जिसे एक बार पूरा पढ़ने से एक आवृत्ति पूर्ण होती है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु और देवर्षि नारद के संवाद में प्रकट हुआ था।
नारद जी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि हे भगवन! सृष्टि-स्थिति लयात्मक रूप बगलामुखी के एक सौ आठ नाम कहिए। तब विष्णु जी बोले कि हे वत्स सुनिए ! अष्टोत्तर शतनाम का वर्णन करता हूं। महामाया पीताम्बरा का यह स्तोत्र घोर पापनाशक है।
इसका पाठ करने मात्र से वाचाल मूक हो जाता है और शत्रुओं की गति, मति, वाचा और बुद्धि का स्तम्भन होता है। यदि सम्भव हो सके तो किसी कालरात्रि अथवा ग्रहण काल में इस स्तोत्र की एक सौ आठ (108) आवृत्तियां कर लेनी चाहिए।
श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम
विनियोग: ॐ अस्य श्रीपीताम्बर्य्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रस्य सदाशिव ऋषिरनुष्टुप्छन्दश्श्रीपीताम्बरी देवता श्रीपीताम्बरीप्रीतये जपे विनियोगः ।
स्तोत्र
ॐ बगला विष्णुवनिता विष्णुशंकरभामिनी । बहुला वेदमाता च महाविष्णुप्रसूरपि ॥ १ ॥महामत्स्या महाकूम्र्म्मा महावाराहरूपिणी । नरसिंहप्रिया रम्या वामना बदुरूपिणी ॥ २ ॥ जामदग्न्यस्वरूपा च रामा रामप्रपूजिता । कृष्णा कपर्दिनी कृत्या कलहा कलविकारिणी ॥३॥ बुद्धिरूपा बुद्धभार्या बौद्धपाखण्ड – खण्डिनी । कल्किरूपा कलिहरा कलिदुर्गतिनाशिनी ॥ ४ ॥ कोटिसूर्यप्रतीकाशा कोटिकन्दर्पमोहिनी । केवला कठिना काली कला कैवल्यदायिनी ॥५॥ केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता । रुद्ररूपा रुद्रमूर्ती रुद्राणी रुद्रदेवता ॥६॥ नक्षत्रा नक्षत्रेशप्रपूजिता । नक्षत्रेशप्रिया नित्या नक्षत्रपतिवन्दिता ॥ ७ ॥ नागिनी नागजननी नागराजप्रवन्दिता। नक्षत्ररूपा नागेश्वरी नागकन्या नागरी च नगात्मजा ॥ ८ ॥ नगाधिराजतनया नगराजप्रपूजिता नवीना नीरवा पीता श्यामा सौन्दर्यकारिणी ॥ ९ ॥ रक्ता नीला घना शुभ्रा श्वेता सौभाग्यदायिनी । सुन्दरी सौभगा सौम्या स्वर्णभा स्वर्गतिप्रदा ॥ १० ॥ रिपुत्रासकरी रेखाशत्रुसंहारकारिणी। भामिनी च तथा माया स्तम्भिनी मोहिनी शुभा ॥ ११ ॥ रागद्वेषकरी रात्री रौरवध्वंसकारिणी। यक्षिणी सिद्धनिवहा सिद्धेशा सिद्धिरूपिणी ॥ १२ ॥ लंकापतिध्वंसकरी लंकेशरिपुवन्दिता । लंकानाथकुलहरा महारावणहारिणी ॥१३॥देवदानवसिद्धीय पूजिता परमेश्वरी । पराणुरूपा परमा परतन्त्रविनाशिनी ।।१४।। वरदा वरदाराध्या वरदानपरायणा । वरदेशप्रिया वीरा वीर भूषणभूषिता ।।१५।। बलदा पीतवसना पीतभूषणभूषिता ।। १६ ।।
वसुदा बहुधा वाणी ब्रह्मरूपा वरानना।
पीतपुष्यप्रिया पातहरा पीतस्वरूपिणी। ॥ माँ पीताम्बरायै नमः ।
OM Haling Baglamukhi Devyai Namh.
Dr.Ramesh Khanna
Senior Journalist
Haridwar.