Akhada parishad, Deep anger, स्वामी अवधेशानंद गिरि के पदस्थापना के रजत जयंती वर्ष समारोह को लेकर अखाड़ों में गहरा रोष।
Akhada parishad,Deep anger in the Akharas regarding the silver jubilee year celebrations of the installation of Swami Avadheshanand Giri.
पीठाधीश्वर पदस्थापना समारोह में,तेरहों अखाड़ों को नहीं बुलाया पीठाधीश्वर ने
समस्त अखाड़े एक जुट, तेरह अखाड़ों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा-अध्यक्ष अखाड़ा परिषद
संघ प्रमुख मोहन भागवत को सम्मानित करेगा अखाड़ा परिषद
Akhada parishad, Deep anger, हरिद्वार के हरिहर आश्रम में पिछले दो दिनों से चल रहे जूना पीठाधीश्वर के पदस्थापना के पचीस वर्ष पूरे होने पर एक बडे आयोजन को लेकर बडे विवाद उठ खडे हुए हैं।
जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि द्वारा स्वयं अपने ही अखाड़े जूना अखाड़े सहित तमाम तेरहों अखाड़ों को अपने पदस्थापना के रजत जयंती महोत्सव में आमंत्रित नहीं किया गया है।
वैसे बताते चलें कि आचार्य पीठाधीश्वर का पद अखाडों द्वारा ही तय किया जाता है,कहा जाये तो आचार्य पीठाधीश्वर का पद तेरहों अखाड़ों में से किसी भी अखाड़े के सन्यासी,संताई और महंताई से होते हुए मंडलेश्वर , महामंडलेश्वर ही पीठाधीश्वर के पद तक पहुंचते है, और अखाड़े के इस सर्वोच्च पद पर किसी संत विशेष को पदभूषित करने में अखाड़े ही सर्वस्व होते हैं और तमाम तेरहों अखाड़ों के सानिध्य में पद्मभूषण का आयोजन किया जाता है, यानि पीठाधीश्वर पद की उंचाई की पहली सीढ़ी अखाड़े ही हैं, लेकिन रजत जयंती के इस पर्व के आयोजन कर्ताओं ने सभी तेरह अखाड़ों के संतों को आयोजन में आमंत्रित नहीं किया है।
अखाडा परिषद के अध्यक्ष एवं मंसादेवी मंदिर के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने कहा कि जूना पीठाधीश्वर के आचार्य पीठ पर आसीन होने के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में अखाड़ा परिषद को आमंत्रित नहीं किए जाने से समस्त अखाड़ा परिषद में रोष है।
Akhada parishad, Deep anger, इससे अखाड़ा परंपरा का अपमान हुआ है, उन्होंने कहा कि आचार्य पीठ का अस्तित्व भी अखाड़ों से ही है जूना पीठाधीश्वर के कार्यक्रम में जूना अखाड़े के पंचों और अखाड़े के महामंडलेश्वरों, जूना अखाड़े के सहयोगी आह्वान व अग्नि अखाड़े को भी आमंत्रित नहीं किया जाना बेहद खेदजनक है।
संत परंपरा और सनातन धर्म संस्कृति की संवाहक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अनदेखी किए जाने से सभी तेरह अखाड़ों के संतों में रोष है,Akhada parishad, Deep anger, श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि सन्यासी, बैरागी, निर्मल व उदासीन सभी तेरह अखाड़े उनकी आत्मा में बसते हैं,अखाड़ों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा इस संदर्भ में जल्द ही अखाडा परिषद की बैठक बुलाने पर विचार किया जा रहा है।
अखाडा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी ने कहा हमें इस बात का भी बहुत खेद कि हमारे निरंजनी अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद अपने अखाड़े के मान अपमान की परवाह किए बगैर आयोजन में शामिल हुए, हमें अपने आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद के आचरण पर गहरा खेद और दुख है, हमने उनसे इस बारे में जवाब मांगा कि अखाड़े के सम्मान को दरकिनार कर उन्होंने वहां कार्यक्रम में शिरकत करना कैसे गंवारा किया।
उन्होंने कहा मैं दाद देना चाहूंगा, प्रशंसा करना चाहूंगा आनंद अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर श्रीमहंत बालकानंदाचार्य को उन्होंने बिना अपने अखाड़े के संतों के कार्यक्रम में जाने से साफ इंकार कर दिया।
जब संत नहीं तो आचार्य कैसे? श्रीमहंत रविन्द्र पुरी ने कहा हम तमाम संत संघ प्रमुख मोहन भागवत जी के विचारों को सुनने को उत्सुक थे क्योंकि उन्होंने हिन्दूत्व और सनातन धर्म को बड़े मायने दिए हैं, हमें कौन सा उनके गले मिलना था जो हमें बुलाने से परहेज़ किया गया, मोहन भागवत जी की संतों में बड़ी छवि है,जिस कारण संत उन्हें सुनने को उत्सुक थे।
उन्होंने कहा स्वामी अवधेशानंद गिरि आचार्य पीठाधीश्वर जूना अखाड़ा ने पिछले दिनों विवादित बयान दिया था कि अखाड़ों के 12 लाख नांगा उनके शिष्य है,जो सरासर गलत बयानी थी लेकिन अखाड़ों ने ऐसे बयान पर चुप्पी केवल आचार्य पीठाधीश्वर के मान के लिए साधे रखी, जानकारी दे दूं कि अखाड़ों का कोई नांगा किसी का शिष्य नहीं होता, नांगा केवल दत्त भगवान के शिष्य होते हैं।
इस प्रकरण से सभी अखाड़े आहत हैं,श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेन्द्र दास महाराज और श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के सचिव महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि आचार्य परंपरा अखाड़ों से बनती है, यदि आचार्य ही अखाड़ों को नहीं मानते हैं तो अखाड़ों को इस पर विचार करना चाहिए।
क्योंकि अखाड़े ही आचार्य महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर और महंत आदि पदवी देते है। जो संत महंत कहते हैं कि हमारे पास लाखों नागा सन्यासी हैं तो यह उनकी गलतफहमी है, नागा सन्यासी अखाड़ों से हैं और अखाड़े ही नागा सन्यासी बनाते हैं, कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज और महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि जब निरंजनी अखाड़े को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया तो अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर को भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए था। इससे अखाड़े का अपमान हुआ है।
अखाडा परिषद ने निर्णय लिया है कि जनवरी में अखाड़ा परिषद अपने संतों के बीच मोहन भागवत के सम्मान में एक बड़ा आयोजन करेगा,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने कहा कि अखाड़ा परिषद की ओर से जनवरी में जूना अखाड़े में माया देवी मंदिर के प्रांगण मे भव्य और विशाल संत समागम का आयोजन कर सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के संघर्ष में नायक की भूमिका निभा रहे संघ प्रमुख मोहन भागवत को सम्मानित किया जाएगा।,Akhada parishad, Deep anger
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान की सराहना करते हुए कहा उन्होंने कहा है कि सनातन हमेशा था, हमेशा है और हमेशा रहेगा, का समर्थन करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया सनातन की और बढ़ रही है, और जल्द ही भारत विश्व गुरु की पदवी पर आसीन होगा,Akhada parishad, Deep anger.
ओह ओह , अफसोस जनक बात है