बद्रीनाथ धाम को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर हरिद्वार में वाद दायर।
अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने, दिया धार्मिक भावनाएं आहत करने का लगाया आरोप
बद्रीनाथ धाम को लेकर गत दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के एमएलसी के विवादित बयान को लेकर हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने सख्त तल्खी दिखाते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के विरुद्ध सीजीएम हरिद्वार के न्यायालय में वाद दायर किया है।
आज बृहस्पतिवार को स्वामी प्रसाद मौर्य नेता समाजवादी पार्टी के खिलाफ धारा 295 ए, 298 ,504, 153 आईपीसी में वाद दायर किया है, जिसमें अरुण भदौरिया ने बद्रीनाथ धाम के बारे में कहा है कि आज भी बद्रीनाथ धाम में 6 महीने इंसान और 6 महीने देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं सर्दी काल में जब 6 महीने के लिए मंदिर बंद हो जाते हैं और जब कपाट खुलते हैं 6 महीने लगातार जो आज भी ज्योत जलती हुई मिलती है ,इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम में सतयुग और त्रेता युग में भी भक्तों को और जिसमें उन्होंने बद्रीनाथ धाम को बोध मठ को तोड़ने के बाद बनाया जाना बताया है।
धाम में सतयुग और त्रेता युग में भी भक्तों को और देवताओं को साधुओं को भगवान विष्णु के दर्शन होते रहे हैं इन सभी कारणों से वादी द्वारा अपनी धार्मिक भावनाएं बद्रीनाथ धाम से जुड़ा होना बताते हुए और स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान से अपनी धार्मिक भावनाओं में ठेस पहुंचाने वाला बयान बताया है।
अरुण भदोरिया ने अपने वाद में न्यायालय के समक्ष बताया है जिसमें यह भी बताया गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पास बयान देने का कोई ना तो अधिकार था और ना है स्वामी प्रसाद मौर्य जो कि एक अधिवक्ता भी रहे हैं इस संबंध में बद्रीनाथ धाम के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद मौर्य द्वारा सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाकर वाद दायर किया गया है ।
अरुण भदौरिया ने कहा, स्वामी प्रसाद मौर्य एक जिम्मेदार पद पर है उनके द्वारा यह भड़काऊ बयान सनातन धर्म के विरुद्ध दिया गया है। इससे पूर्व में ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने साधु-संतों को गेरुआ आतंकवादी बताया था और राम चरित्र मानस और सुंदरकांड के लिए भी उन्होंने पहले भी बयान विवादित दिया था और राम चरित्र मानस पवित्र ग्रंथ के लिए तो यहां तक कहा गया था कि उसे करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते हैं बल्कि तुलसीदास ने उसे अपनी खुशी के लिए लिखा था और रामचरितमानस को बकवास बताया यहां तक कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस पवित्र ग्रंथ को बैन करने के लिए बयान दिया था।
अब इस वाद को सुनवाई के लिए दिनांक 4.8. 2023 में नियत की गई है सीजेएम श्रीमती संगीता आर्य की कोर्ट में सुनवाई होगी।