बायोगैस संयंत्र निर्माण पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल:

ग्राम पंचायत गदरजुडा, विकास खण्ड नारसन में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। गांवों में गोबर को सड़क किनारे फेंका जाता था, जिससे न केवल वातावरण प्रदूषित होता था, बल्कि विभिन्न बीमारियां भी फैलती थीं। इस समस्या से निपटने के लिए अब बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जा रहा है, जो गांवों का वातावरण स्वच्छ बनाए रखने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों की बचत करने में भी मदद कर रहे हैं।

रोजगार के नए अवसर:

इन बायोगैस संयंत्रों की मदद से गोबर को गैस उत्पादन के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जो ऊर्जा का एक स्रोत बनकर वनों के कटाव को रोकने में सहायक है। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं, क्योंकि बायोगैस संयंत्रों के निर्माण और संचालन के लिए स्थानीय कारिगरों को कार्य मिल रहा है।

राष्ट्रीय बायोगैस मिशनअन्तर्गत:

इस पहल की शुरुआत राष्ट्रीय बायोगैस मिशन के तहत हुई थी, जिसके तहत कुछ लाभार्थियों को बायोगैस संयंत्र उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन अब, ग्राम पंचायत गदरजुडा में 19 अप्रैल 2022 से मनरेगा योजना के तहत बायोगैस संयंत्रों का निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस पहल के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए अब अन्य गांवों से भी बायोगैस संयंत्रों के निर्माण के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भी इस दिशा में अधिक प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किया जा रहा है।

मुख्य विकास अधिकरी हरिद्वार द्वारा अवगत कराया गया कि ग्राम पंचायत गदरजुडा में 07 बायोगैस संयंत्रों के निर्माण से न केवल स्थानीय पर्यावरण में सुधार हुआ है, बल्कि यह पहल अन्य ग्राम पंचायतों के लिए एक आदर्श भी बन गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर उठाए गए कदम बड़े बदलाव की वजाह हैं। ग्राम पंचायत गदरजुडा, विकास खण्ड नारसन में इस प्रकार की पहल को देखकर आशा जताई जा रही है कि आने वाले समय में और अधिक गांवों में बायोगैस संयंत्रों का निर्माण होगा, जिससे न केवल वातावरण को साफ रखा जा सकेगा, बल्कि ग्रामीणों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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