Gupt Navratri 2nd day, सौंदर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा, आर्थिक उन्नति भोग और मोक्ष दायनी हैंः- श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज।
Gupt Navratri 2nd day, Tara, the goddess of beauty and beauty, is the giver of economic progress, enjoyment and salvation:- Shri Mahant Narayan Giri Maharaj.
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में महाराजश्री के पावन सानिध्य में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के दूसरे दिन मां तारा देवी की पूजा-अर्चना हुई
Gupt Navratri 2nd day, गाजियाबाद, सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के दूसरे दिन शुक्रवार को दूसरी महाविद्या मां तारा देवी की पूजा-अर्चना की गई।
पूजा-अर्चना के लिए आए भक्तों ने महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद भी लिया।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि सौंदर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा आर्थिक उन्नति और भोग के साथ ही मोक्ष भी प्रदान करती हैं, यह मां काली का दूसरा स्वरूप है।

तारा देवी नरमुंड की माला पहनती हैं और इन्हें तंत्र शास्त्र की देवी माना गया है, बौद्ध धर्म में भी मां तारा की पूजा.अर्चना को बहुत महत्व दिया जाता है, मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने भी मां तारा की आराधना की थी।
गुरु वशिष्ठ ने पूर्णता प्राप्त करने के लिए मां तारा देवी की ही आराधना की थी, इनकी पूजा से सारे कष्ट मिट जाते हैं तारा देवी के भी 3 रूप उग्र तारा एकजटा और नील सरस्व हैं।
मां तारा देवी का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश में है, शिमला के साथ लगती चोटी पर स्थित मां तारा का मंदिर हर मनोकामनाओं का पूरी करने वाला है, महाराजश्री ने बताया कि शिमला शहर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर बनाया गया यह मंदिर काफी पुराना है, हर साल यहां लाखों लोग मां का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं ऐसा कहा जाता है कि पहले मां तारा को पश्चिम बंगाल से शिमला लाया गया था, सेन काल का एक शासक मां तारा की मूर्ति बंगाल से शिमला लाया था।
राजा भूपेंद्र सेन ने मां का मंदिर बनवाया था ? एक बार भूपेंद्र सेन तारादेवी के घने जंगलों में शिकार खेलने गए थे। इसी दौरान उन्हें मां तारा और भगवान हनुमान के दर्शन हुए, मां तारा ने इच्छा जताई कि वह इस स्थल में बसना चाहती हैं ताकि भक्त यहां आकर आसानी से उनके दर्शन कर सके। इसके बाद राजा ने यहां मंदिर बनवाना, जहां आज वर्ष भर भक्तों का मेला लगा रहता है।