historic aqueduct of the Roorkee, भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रुड़की गंगनहर के ऐतिहासिक एक्वाडक्ट के तकनीकी कौशल पर कहे शब्दो को एक्वाडक्ट पर अंकित कराया जाये- श्रीगोपाल नारसन
historic aqueduct of the Roorkee, The words spoken by Bharatendu Harichandra on the technical skills of the historic aqueduct of the Roorkee Ganga Canal should be inscribed on the aqueduct- Sri Gopal Narsan
historic aqueduct of the Roorkee , सन 1871 में रुड़की के एक्वाडक्ट को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे भारतेंदु हरिश्चंद्र! रुड़की-विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति एवं साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र के सन 1871 में रुड़की आने व गंगनहर के historic aqueduct of the Roorkee, ऐतिहासिक एक्वाडक्ट के तकनीकी कौशल की प्रशंसा में कहे गए शब्दो को एक्वाडक्ट पर अंकित कराए जाने की मांग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की है,ताकि साहित्यिक जगत से जुड़े लोगों के लिए भी यह दर्शनीय स्थल बन सके।
उन्होंने बताया कि सन 1871 में भारतेंदु रुड़की से होकर हरिद्वार गए तो रुड़की की ऐतिहासिक गंगनहर को देखकर अभिभूत हो गए थे।यह तथ्य स्वयं भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने यात्रा वृत्तांत संस्मरणों में लिखा है।
अपनी हरिद्वार यात्रा में उन्होंने यहां की गंगनहर के सौंदर्यीकरण का रोचक, रोमांचक और अनुपम वर्णन किया है,रुड़की में इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना गंगनहर पर बना एक्वाडक्ट historic aqueduct of the Roorkee,जिसमे गंगनहर सोलानी नदी के ऊपर से गुजरती है ,को भारतेंदु हरिश्चंद्र ने साहित्यिक विधा की गहराई में उतरकर शब्दों में उतारा था।उन्होंने लिखा है कि ‘यहां सबसे आश्चर्य श्री गंगा जी की नहर है, पुल के ऊपर से तो यह नहर बहती है और नीचे से नदी बहती है,historic aqueduct of the Roorkee,
इसको देखने से शिल्प-विद्या का बल और अंग्रेजों का चातुर्य और द्रव्य का व्यय प्रगट होता है।भारतेंदु लिखते है कि न जाने वह पुल कितना दृढ़ बना है कि उस पर से अनवरत कई लाख मन वरन करोड़ मन जल बहा करता है और वह तनिक नहीं हिलता। भारतेंदु के शब्दों में,’यह श्री गंगा जी की नहर हरिद्वार से आई है और इसके लाने में यह चातुर्य किया है कि इसके जल का वेग रोकने के लिए इसको सीढ़ी की भांति लाए हैं। कोस कोस डेढ़ डेढ़ कोस पर बड़े बड़े पुल बनाए हैं वही मानों सीढ़ियां हैं और प्रत्येक पुल के ताखों से जल को नीचे उतारा है।, historic aqueduct of the Roorkee,
जहां जहां जल को नीचे उतारा है वहां बड़े बड़े सीकड़ों में कसे हुए दृढ़ तख्ते पुल के ताखों के मुंह पर लगा दिए हैं और उनके खींचने के लिए ऊपर चक्कर रखे हैं। उन तख्तों से ठोकर खाकर पानी नीचे गिरता है वह शोभा देखने योग्य है। वे कहते है कि इसके आगे और भी आश्चर्य है कि दो स्थान ऐसे है जहां नीचे नहर है और ऊपर से नदी बहती है।
वर्षा के कारण वे नदियां क्षण में तो बड़े वेग से बढ़ती थी और क्षण भर में सूख जाती है एक स्थान पर नदी और नहर को एक में मिला के निकाला है।
यहां सीधी रेखा की चाल से नहर आई है और बड़ी रेखा की चाल से नदी गई है। जिस स्थान पर दोनों का संगम है वहां नहर के दोनों ओर पुल बने हैं और नदी जिधर गिरती है उधर कई द्वार बनाकर उसमें काठ के तख्ते लगाए हैं जिससे जितना पानी नदी में जाने देना चाहें उतना नदी में और जितना नहर में छोड़ना चाहें उतना नहर में छोड़ें। सिंचाई वैज्ञानिकों की इस तकनीकी कुशलता को भारतेंदु ने जिन स्वर्णिम अक्षरों में प्रकट किया है,उसे इतिहास की धरोहर बनाने की मांग श्रीगोपाल नारसन ने की है,historic aqueduct of the Roorkee, श्रीगोपाल नारसन ने इस संदर्भ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र भी लिखा है।
Bhut Sundar jankari mili hum ko aap se🙏🙏🙏🙏
संसार का अजूबा है यह पुल नई। जनरेशन को इसे जरूर देखना चहिये आश्चर्यजनक पुल के नीचे पुल की दीवारों में पेड़ों ने जड़े जमा ली है जिस कारण यह क्षतिग्रस्त हो रहा है ये राष्ट्रीय धरोहर है सरकार को इसकी सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए।