*’धुआं-गंध से जीना मुश्किल’, MPCC कंपनी पर ग्रामीणों के गंभीर आरोप, बोले : जानलेवा है प्लांट, नहीं रुका तो करेंगे बड़ा आंदोलन*

*जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्लांट के विस्तार पर बवाल, ग्रामीणों ने SEIAA उत्तराखंड को भेजा आपत्ति पत्र*

*आरोप – बिना अनुमति चिमनी निर्माण, दूषित पानी सीधे जमीन में, उपकरण खराब*

*SEIAA, CPCB और पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया आपत्ति पत्र*

रुड़की/हरिद्वार । हरिद्वार जनपद के ग्राम मण्डावर, तहसील भगवानपुर में स्थित MPCC कंपनी द्वारा संचालित जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण प्लांट एक बार फिर विवादों में घिर गया है। कंपनी द्वारा इस प्लांट की निस्तारण क्षमता 100 किलोग्राम प्रति घंटा से बढ़ाकर 300 किलोग्राम प्रतिघंटा करने के प्रस्ताव के विरोध में समस्त ग्रामवासियों ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA), उत्तराखंड को कड़ा आपत्ति पत्र सौंपा है।

*2004 में लगाया गया था प्लांट, ग्रामीणों को बताया गया था बिस्कुट फैक्ट्री*

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि यह प्लांट वर्ष 2004 में ग्राम पंचायत को अंधेरे में रखकर स्थापित किया गया था। उस समय कंपनी द्वारा यह बताया गया था कि क्षेत्र में बिस्कुट निर्माण की फैक्ट्री लगाई जा रही है। लेकिन इसके बाद वहां जैव चिकित्सा अपशिष्ट जलाने का कार्य शुरू किया गया, जिससे क्षेत्र में प्रदूषण लगातार बढ़ता गया।

*काली राख, जहरीला धुआं और दुर्गंध से त्रस्त ग्रामीण*

ग्रामवासियों का कहना है कि इस प्लांट से हर समय काली राख, घना धुआं और दुर्गंध उड़ती रहती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों, त्वचा रोगों और अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह प्लांट अब पूरे गढ़वाल मंडल का मेडिकल वेस्ट जला रहा है।

*ETP बंद, दो भट्टियाँ अवैध रूप से चालू, वैज्ञानिक उपकरण खराब*

आपत्ति पत्र में उल्लेख किया गया है कि प्लांट परिसर में स्थित ETP (Effluent Treatment Plant) वर्षों से बंद है और उससे निकलने वाला दूषित जल सीधे जमीन में बनाए गए गड्ढों में डाला जा रहा है, जिससे भूजल भी जहरीला हो गया है। साथ ही, सरकार द्वारा केवल एक भट्टी के संचालन की अनुमति होने के बावजूद कंपनी द्वारा दो भट्टियाँ चलाई जा रही हैं और पीले बैग वाले अस्पताल अपशिष्ट को सीधे डीज़ल डालकर जलाया जा रहा है।

*बिना अनुमति बनाई नई चिमनी, नियमों की खुलेआम अवहेलना*

ग्रामवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में प्लांट की एक पुरानी चिमनी को हटाकर एक नई सीमेंट की चिमनी बनाई गई है, जिसकी किसी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई। इसके संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जानकारी भी मांगी गई थी, परंतु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।

*आबादी से महज 10 मीटर की दूरी, 500 मीटर की परिधि नियमों का उल्लंघन*

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 2016 के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऐसे प्लांट के 500 मीटर के दायरे में कोई आबादी नहीं होनी चाहिए। परंतु मण्डावर में यह प्लांट मात्र 10 मीटर की दूरी पर स्थित रिहायशी कॉलोनी के पास है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

*पाँच ग्रामसभाएँ सीधा प्रभावित, जनप्रतिनिधियों ने भी जताया विरोध*

ग्राम प्रधान और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इस विस्तार प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस प्लांट से न केवल मंडावर बल्कि आसपास की लगभग पाँच ग्रामसभाएँ सीधे प्रभावित हो रही हैं। यदि सरकार इस प्लांट को अनुमति देती है, तो समस्त क्षेत्रवासी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

*SEIAA, CPCB और पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया आपत्ति पत्र*

ग्रामीणों ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के साथ-साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (नई दिल्ली) एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार को भी पत्र प्रेषित कर तत्काल कार्यवाही की माँग की है। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि कंपनी का प्रस्ताव निरस्त किया जाए और इस प्लांट को किसी आबादी रहित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *