-उत्तराखंड के विकास, रुद्राक्ष टूरिज्म, पीस टूरिज्म, ईको-फ्रेंडली होम स्टे, योग व ध्यान टूरिज्म, टिहरी क्षेत्र की 54 किलोमीटर लंबी झील के आस-पास सौंदर्यीकरण, ऑर्गेनिक संवर्द्धन, रिजॉर्ट, रेजिडेंशियल स्कूलों के निर्माण, नारी सशक्तिकरण, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना, पलायन को रोकना आदि के साथ विभिन्न पर्यावरण-अनुकूल पहलों पर हुई चर्चा
-उत्तराखंड में व्याप्त अपार प्राकृतिक धरोहरों व विरासतों के संवर्द्धन पर हुई विशेष चर्चा
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं उत्तराखंड सरकार के माननीय पर्यटन, संस्कृति एवं सिंचाई कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज जी के बीच एक विशेष भेंटवार्ता सम्पन्न हुई। इस संवाद में उत्तराखंड के सर्वांगीण विकास, पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत के संवर्द्धन तथा राज्य में सतत व उत्तरदायी पर्यटन को बढ़ावा देने से जुड़े अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
दोनों पूज्य संतों ने कहा कि उत्तराखंड अपार प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहरों और आध्यात्मिक विरासत से समृद्ध राज्य है, जिसे वैश्विक स्तर पर शांति, योग, ध्यान और आध्यात्मिक पर्यटन के केन्द्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। चर्चा के दौरान राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत करने, नारियों एवं युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने तथा पर्यावरण-अनुकूल पहलों को बढ़ावा देने की प्राथमिकताओं पर जोर दिया गया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रुद्राक्ष टूरिज्म की अवधारणा पर विस्तृत चर्चा करते हुये कहा कि रुद्राक्ष की पवित्रता, उसकी पौराणिक महत्ता तथा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसके प्राकृतिक स्रोतों को ध्यान में रखते हुए ऐसे टूरिज्म मॉडल विकसित करने की जरूरत है जिससे स्थानीय किसानों, कारीगरों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिल सके। साथ ही, रुद्राक्ष आधारित आध्यात्मिक सर्किटों के निर्माण पर भी चर्चा हुई।
उत्तराखंड की दिव्य प्रकृति और “देवभूमि” की आध्यात्मिक पहचान को सुदृढ़ करते हुए पीस टूरिज्म को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि आज विश्वभर में मानसिक शांति और तनाव-मुक्त जीवन की माँग बढ़ रही है, और उत्तराखंड ध्यान शिविरों, शांति यात्राओं, आध्यात्मिक संवादों एवं योग-ध्यान कार्यक्रमों का वैश्विक केन्द्र बन सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि जब उत्तराखंड़ में टूरिज्म बढ़ेगा तो ऐेसे में पर्यावरण-अनुकूल होम स्टे मॉडल को बढ़ावा देने की जरूरत है। ऐसे होम स्टे न केवल स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करेंगे, बल्कि ग्रामीण परिवारों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ भी प्रदान करेंगे। साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ऑर्गेनिक भोजन, स्थानीय कला एवं जीवनशैली के संरक्षण पर भी विशेष चर्चा हुई।
इस अवसर पर योग एवं ध्यान टूरिज्म के विस्तार पर विशेष रूप से चर्चा हुई। राज्य में योग ग्राम, ध्यान केन्द्रों और वेलनेस सुविधाओं के विस्तार पर विचार किया गया। इस दौरान 54 किलोमीटर लंबी टिहरी झील को विश्वस्तरीय इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई।
सौन्दर्यीकरण, वॉटर स्पोर्ट्स, प्राकृतिक उद्यानों, वेलनेस रिसॉर्ट्स और सामुदायिक क्षेत्रों के निर्माण के माध्यम से इसे आकर्षक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केन्द्र बनाने पर विचार विमर्श किया।
उत्तराखंड में जैविक कृषि, औषधीय पौधों और परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के साथ किसानों को प्रशिक्षण, मूल्यवर्धन, पैकेजिंग, वैश्विक मार्केटिंग और सामूहिक पहल को मजबूत करने के उपाय व प्रशिक्षण दिये जाने पर जोर दिया गया।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सतत विकास सिद्धांतों पर आधारित रिसॉर्ट, सांस्कृतिक केन्द्रों तथा मूल्य आधारित रेसिडेंशियल स्कूलों के निर्माण पर भी चर्चा हुई, ताकि नई पीढ़ी को शिक्षा के साथ संस्कार, प्रकृति-प्रेम और जिम्मेदारी की भावना भी प्राप्त हो।
उत्तराखंड में बढ़ते पलायन को रोकने के लिए युवाओं को स्थानीय रोजगार उपलब्ध कराने पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। पर्यटन, योग-वेलनेस, ऑर्गेनिक कृषि, एडवेंचर टूरिज्म, डिजिटल स्किल और उद्यमिता के माध्यम से युवाओं को स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित करने पर बल दिया गया।
कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज जी ने कहा कि उत्तराखंड की अपार प्राकृतिक धरोहर, नदियों, वनों, हिमालयी जैव-विविधता और पवित्र पर्वतों के संरक्षण पर भी विस्तार से चर्चा की। पर्यावरण-अनुकूल नीतियों, प्लास्टिक-मुक्त पहल, नदी संरक्षण तथा जलवायु-संवेदनशील विकास को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि सरकार, आध्यात्मिक संस्थान, स्थानीय समुदाय और वैश्विक साझेदार मिलकर उत्तराखंड को इको-टूरिज्म, आध्यात्मिक वेलनेस, सांस्कृतिक संरक्षण और सतत विकास का विश्व मॉडल बनाएंगे। “देवभूमि उत्तराखंड” को शांति, पवित्रता, समृद्धि और पर्यावरणीय संतुलन की वैश्विक प्रेरणा बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।