religion,धर्म-कर्म और दर्शन -107
religion and philosophy- 107
🌺अति तीव्र दुर्गा साधना 🌺
आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करने के लिए और शक्ति प्राप्ति हेतु।
दुर्गा माँ एक ऐसी देवी हैं जो साधक को बहुत जल्दी अपनी कृपा प्रदान कर देती है!
जो उनकी साधना करता है उसके लिए तो संसार में कुछ भी असंभव नहीं रहता!
माँ की पूजा से हमे धर्मं, अर्थ , काम और मोक्ष सबकी प्राप्ति हो जाती है!
माँ हमेशा अपने साधक पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखती है और हमेशा अपने साधक का कल्याण करती रहती है! उनके साधक और उपासक का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता !
देवी माँ की कृपा प्राप्ति हेतु एक साधना प्रस्तुत है और यह परीक्षित है !
🏵️दुर्गा माँ की तीव्र साधना विधि 🏵️
साधक माँ भगवती दुर्गा का सामान्य पूजन करे।
कुमकुम, लाल चन्दन, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित करे।
तत्पश्चात साधक निम्न विनियोग का उच्चारण कर एक आचमनी जल भूमि पर छोड़ दे
🏵️ विनियोग :🏵️
ॐ अस्य श्रीदुर्गाष्टाक्षरमन्त्रस्य महेश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीदुर्गाष्टाक्षरात्मिका देवता, दुम् बीजम्, ह्रीं शक्तिः, ॐ कीलकाय नमः इति दिग्बन्धः,
धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः।
🏵️ ऋष्यादि-न्यास :🏵️
ॐ महेश्वर ऋषये नमः शिरसि।
(सिर को स्पर्श करें)
अनुष्टुप्छन्दसे नमः मुखे। (मुख को स्पर्श करें)
श्रीदुर्गाष्टाक्षरात्मिका देवतायै नमो हृदि।
(हृदय को स्पर्श करें)
दुम् बीजाय नमो नाभौ। (नाभि को स्पर्श करें)
ह्रीं शक्तये नमो गुह्ये। (गुह्य-स्थान को स्पर्श करें)
ॐ कीलकाय नमः पादयोः। (पैरों को स्पर्श करें)
नमो दिग्बन्धः इति सर्वांगे। (सम्पूर्ण शरीर को स्पर्श करें)
कर-न्यास
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
(दोनों तर्जनी उंगलियों से दोनों अँगूठों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों तर्जनी उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों मध्यमा उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों अनामिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों कनिष्ठिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
(परस्पर दोनों हाथों को स्पर्श करें)
हृदयादि-न्यास
ॐ ह्रां हृदयाय नमः। (हृदय को स्पर्श करें)
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा। (सिर को स्पर्श करें)
ॐ ह्रूं शिखायै वषट्। (शिखा को स्पर्श करें)
ॐ ह्रैं कवचाय हुम्। (परस्पर भुजाओं को स्पर्श करें)
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्। (नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रः अस्त्राय फट्।
(सिर से हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं)
फिर साधक हाथ जोड़कर माँ भगवती दुर्गाजी का ध्यान करें
🏵️ दुर्गा माँ का जप मंत्र🏵️
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ,
ॐ ग्लौं हूं क्लीं जूं सः,ज्वालय-ज्वालय,ज्वल-ज्वल,प्रज्वल-प्रज्वल,
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ,
ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा !!!
🏵️ कुंजिका स्तोत्रं 🏵️
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन ॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥
धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे॥
साधना विधि👇
सबसे पहले दुर्गा माँ की कोई भी तस्वीर सामने रखकर पूजा करें!
देवी के सामने अगरबत्ती जलाएं , दिया जलाएं , लाल पुष्प चढ़ाएं,कोई भी मिठाई की भोग लगायें और लाल चन्दन का टीका देवी को करें और खुद को भी टीका करें!
फिर ऊपर दिए दुर्गा मान के जप मंत्र को १०८ बार जपें !
जब १०८ बार यह मंत्र जप ले फिर ऊपर दिए कुंजिका स्तोत्र को मात्र १ बार जपें!
इसके बाद अपने मंत्र जप को देवी माँ के बाएँ हाथ में समर्पित कर दें!
इसके बाद नीचे दिए अम्बिका देवी के स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र की एक माला फेरे!
अम्बिका माँ का स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र
ॐ आठ-भुजी अम्बिका,
एक नाम ओंकार ,
खट्-दर्शन त्रिभुवन में,
पाँच पण्डवा सात दीप ,
चार खूँट नौ खण्ड में,
चन्दा सूरज दो प्रमाण ,
हाथ जोड़ विनती करूँ ,
मम करो कल्याण !!!
जब आप यह स्वयं सिद्ध अम्बीका देवी के शाबर मंत्र की १ माला फेर ले तो इसे भी देवी माँ के बाएँ हाथ में समर्पित कर दें!
बस आपकी पूजा समाप्त हुई!
ऐसा कम से कम ४१ दिन करें!
साधना लाभ👇
इस साधना के अनेकों लाभ हे जो आपको साधना करके पता चलेंगे!
तब भी इस पूजा से आपको दुर्गा माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है!
आपकी हर मनोकामना पूरी होती है! सुरात्मक शक्तियां प्राप्त होती है!समस्त परिस्थितियाँ अनुकूल हो जाती है!
अगर कोई स्त्री करे तो उसके सुहाग की रक्षा भी होती है!
दुर्गा साधना के अनेको लाभ है जिन्हें साधना करके ही आपको पता चलेगा!
*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरीद्वार (उत्तराखंड)*