religion,धर्म-कर्म और दर्शन -161
religion and philosophy- 161
🏵️पितृदोष के निवारण का अचूक प्रयोग 🏵️
पितृदोष से पीड़ित कई साधको की तीव्र इच्छा थी की इस दोष के समनार्थ कोई उचित प्रयोग बताया जाये। निसंदेह ये दोष अत्यंत कष्ट कारक तथा दुःख प्रद है।
सामान्य रूप से गया श्राद्ध, नारायण बली आदि पितृदोष समन के सर्वोत्तम उपाय हैं किन्तु जिनको इससे लाभ नहीं मिला अथवा जो इन विधियों को करने में असमर्थ हैं वे अवश्य निम्न प्रयोगो को श्रद्धा विश्वास पूर्वक करेंगे अथवा किसी आचार्य से करवा लेंगे तो उनका कल्याण होगा।
दुर्गा सपशती के 4 थे अध्याय का 8वां मंत्र पितृ शांति के लिए अमोघ माना जाता हैं-
ॐ यस्या: समस्त सुरता समुदिरणेन,तृप्तिं प्रयाती सकलेषु मखेषु देवी।
स्वाहासि वै पितृ-गणस्य च तृप्ति हेतु:उच्चार्यसे त्वमत एव जन: स्वधा च।।
संकल्प वाक्य :- मम जन्मकुंडल्याम, वर्ष कुंडल्याम वा, मम गृहे कुले वा उपस्थित पितृ दोष निरसन पूर्वक भगवत्या: दुर्गाया: प्रीति काम: अस्य मन्त्रस्य अष्टोत्तर शत/अष्टोत्तर सहस्त्र / अयुत जपमहं करीष्ये।
इस मंत्र का नित्य जप करने से तथा इसका सम्पूट पाठ करने से पितृदोष का समाधान होता है।
जिनको गायत्री का अधिकार नहीं वे ॐ के स्थान पर नम: अथवा श्री शब्द का प्रयोग कीजिए।
इस मंत्र में दीक्षित अदीक्षित का बंधन नहीं, किन्तु प्रणव इत्यादी के प्रयोग पर ध्यान देना हीं चाहिए तभी लाभ होगा।
श्रद्धा पूर्वक करने से 41 दिन में लाभ अवश्य दिखेगा।
सबका मंगल हो
Dr.Ramesh Khanna
Senior Journalist
Haridwar.