religion,धर्म-कर्म और दर्शन -171
religion and philosophy- 171
🏵️मंत्र-जप और उनके प्रभाव🏵️
‘‘मननात त्रायते यस्मात्तस्मान्मंत्र उदाहृतः’’,
अर्थात जिसके मनन, चिंतन एवं ध्यान द्वारा संसार के सभी दुखों से रक्षा, मुक्ति एवं परम आनंद प्राप्त होता है, वही मंत्र है।
12 राशियों में 9 ग्रहों के विचरने से 108 प्रकार की शुभ-अशुभ स्थितियों का निर्माण होता है, जो हर मानव को प्रभावित करती हैं। हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसके साथ सिर्फ अच्छी परिस्थितियां हों, पर बुरी परिस्थितियां भी आ जाती हैं और हर कोई मन-मसोसकर कहता है कि होनी को कौन टाल सकता है?
पर बुरी परिस्थितियों को टाला जा सकता है या उसका प्रभाव इतना कम किया जा सकता है कि वे नाममात्र का नुकसान कर चली जाएं। यह सब संभव हो सकता है मंत्र जप से।
हम अपनी प्रकृति, अपने स्वभाव व अपनी जन्म कुंडली के आधार पर यह जान सकते हैं कि हमें किस तरह के मंत्र का जप करना चाहिए। कौन से ईष्ट के स्वरूप की साधना से कुंडली के ग्रह दोष दूर किये जा सकते हैं।
यदि हम ग्रह-नक्षत्रों के मंत्र की बजाय ग्रहों के स्वामी के मंत्र जप करें तो, वह ज्यादा प्रभावी होते हैं।
कलयुग में होने का एक ही फायदा है कि हम मंत्र जप कर बड़े-बड़े तप-अनुष्ठान का लाभ पा सकते हैं, कलयुग में मंत्रों का प्रभाव ज्यादा होता है।
मंत्रों में परमेश्वर का अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है। मंत्र जप से एक तरंग का निर्माण होता है, जो मन को उर्ध्वगामी बनाते हैं। जिस तरह पानी हमेशा नीचे की ओर बहता है उसी तरह मन हमेशा पतन की ओर बढ़ता है,अगर मन को मंत्र जप की तरंग का बल मिल जाए तो मन पवित्र और श्रेष्ठ बनता है। मंत्र जाप का प्रभाव सूक्ष्म किंतु गहरा व प्रभावकारी होता है।
मंत्र जप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती-जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है। मंत्र जप से चित्त पावन होने लगता है। रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं।
दु:ख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं। सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है।।
जैसे ध्वनि तरंगें दूर-दूर तक जाती हैं, ऐसे ही नाद-जप की तरंगें हमारे अंतरमन में गहरे उतर जाती हैं तथा पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं।
इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि विवेक का विकास होने लगता है और मनुष्य श्रेष्ठता को प्राप्त होना शुरू हो जाता हैं।
मंत्र जापक को व्यक्तिगत जीवन में सफलता तथा सामाजिक जीवन में सम्मान मिलता है। मंत्र जप मानव के भीतर की सोई हुई चेतना को जगाकर उसकी महानता को प्रकट कर देता है। यहां तक कि जप से जीवात्मा ब्रह्म-परमात्म पद में पहुंचने की क्षमता भी विकसित कर लेता है।
अतः अपनी जन्म कुंडली, अपने स्वभाव व अपनी प्रकृति के आधार पर रोज किसी एक मंत्र का हो सके उतना अधिक से अधिक जप करने की अच्छी आदत अवश्य विकसित करें।।
Dr.Ramesh Khanna.
Senior Journalist
Haridwar.(U.K.)