religion,धर्म-कर्म और दर्शन -180
religion and philosophy- 180
🌺नवार्ण मंत्र : मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति का सरलतम उपाय 🌺
मां दुर्गा शक्ति का स्वरुप हैं, जिन की कृपा से जीवन के सब सुख, खुशियां, धन-धान्य, समृद्धि, ऐश्वर्य व वैभव प्राप्त होते हैं। देवी मां के कृपा प्राप्ति का सरलतम उपाय है : उनके अद्भुत “नवार्ण मंत्र” का जाप है।
इसके नव वर्ण अर्थात् नौ अक्षर होने से इसका नाम नवार्ण पड़ा और इसका प्रत्येक अक्षर अपने आप में विराट शक्ति पुंज लिये हुये है । इस महामंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है।
नवार्ण मन्त्र :
*ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे”*
मंत्र रहस्य:
*”ऐं’*
‘ऐं’ इस वाग्बीज से चित्स्वरूपा सरस्वती बोधित होती हैं, क्योंकि ज्ञान से ही अज्ञान की निवृत्ति होती है
महावाक्यजन्य पर ब्रहम-कार वृत्ति पर प्रतिबिम्बित होकर वही चिद रूपा भगवती अज्ञान को मिटाती हैं।’
*ह्रीं*
ह्रीं’ इस मायाबीज से सद्रूपा महालक्ष्मी विवक्षित हैं।
त्रिकाल बाहय वस्तु ही नित्य है।
कल्पित आकाशवादि प्रपंच के अपवाद का अधिष्ठान होने से सदरूपा भगवती ही नित्यमुक्ता हैं।
*’क्लीं’*
‘क्लीं’ इस कामबीज से परमानंद स्वरूपा महाकाली विवक्षित हैं।
सर्वानुभव संवेध आनंद ही परम पुरूषार्थ है।
वही परात्पर आनंद महाकाली रूप है।
*चामुण्डाये*
‘चामुण्डाये’ शब्द से मोक्षकारणीभूत निर्विकल्पक ब्रहमाकार वृत्ति विवक्षित है।
विपदादिरूप चमू को जो नष्ट करके आत्मरूप कर लेती है, वही ‘चामुण्डा’ ब्रहमविद्या है।
अधिदैव के मूला ज्ञान और तूला ज्ञान रूप चण्ड-मुण्ड को वश में करने वाली भगवती चामुण्डा कही गयी है।
*विच्चे*
‘विच्चे’ में ‘वित्’ ‘च’, ‘इ’ ये तीन पद क्रमेण चित, सत, आनन्द के वाचक हैं।
वित् का ज्ञान अर्थ स्पष्ट ही है,
‘च’ नपुंसकलिंग सत का बोधक है,
‘इ’ आननदब्रहममहिषी का बोधक है।
स्थान, करण, प्रयत्न तथा वर्णविभागशून्य, स्वयंप्रकाश जयोति ‘परा’ वाक् है।
सूक्ष्म बीज से उत्पन्न अंकुर के समान किंचित विकसित शक्ति ही ‘पश्यन्ती’ है।
अन्त: संकल्परूपा वाक् ही ‘मध्यमा’ है, व्यक्त वर्णादिरूप ‘वैखरी’ है।
मां भगवती आप सभी का कल्याण करें।
इस नवरात्रि शक्ति साधना से जुड़ कर नवार्ण मंत्र के अलग अलग प्रयोग से
*डॉ. रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरीद्वार (उत्तराखंड)*