religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 48
religion and philosophy- 48
🌺10 अवतार ही तंत्र शास्त्रों का आत्मा है🌺
साम्बसदाशिव नामक युगल जोड़ा ही समय समय पर अनेक लीला करता है। यह युगल परम युगल ही सभी प्रकार के अवतारों का मूल है ।
भगवान् श्री शिव के श्री महाकाल आदि 10 अवतार हुए।
उन अवतारों में जो उनकी शक्ति थी वही उनके नाम के अनुरूप हुई। इसी कारण शैव और विद्वान लोग यह कहते हैं कि शिव और शक्ति ही मूल रूप हैं इनकी इच्छा से ही ये शिव कभी षोडश बनते है तो कभी तार आदि तो उनकी शक्ति भी नाम बदल लेती हैं।
ऐसा मानना मूर्खतापूर्ण है कि दस महाविद्याओं में से कोई एक भी छोटी या बड़ी है। पर हाँ इष्ट देव एक ही मानना चाहिए।
शक्ति व महेश्वरके सर्वप्रथम होनेवाले महाकाल आदि दस प्रमुख अवतारोंको भक्तिपूर्वक सुनिये –
10 अवतार ही तंत्र शास्त्रों का आत्मा है ऐसा जानिए।
ये 10 शक्तियाँ एक ही हैं मात्र नाम से ही भेद है। एक ही पुरुष के ये 10 अवतार हैं और एक ही आदि शक्ति के ही ये 10 नाम हुये। चूँकि हर अवतार में शिव जी के नाम भिन्न भिन्न हैं उसी प्रकार ये शिवा ( एक ही ) 10 बार अवतार लेने से 10 नाम और 10 रूप को प्राप्त हुई।
अतः बुद्धिमान लोग इन सब विद्याओं को भिन्न भिन्न शक्ति न मानें और न ही किसी की सामर्थ्य कम या अधिक जानें।
जो सामर्थ्य षोडशी अर्थात श्रीविद्या की है (षोडश नामक विद्येश अवतार की अभिन्न शक्ति ) वही सामर्थ्य कमला और तारा की है अतः जो भी मन चाहे उस एक रूप की सेवा करें ( इन दसों की आत्मा 100% केवल एक ही है दो नहीं और वही एक का ही दस बार लीलाभेद हुआ है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कि वेदवती, छायासीता और द्रोपदी की आत्मा पूर्ण रूप से एक ही है।
काली -🏵️
शिव जी के अवतारों के साथ उनकी शक्ति भी प्रकट होती है उनमें प्रथम महाकाल नामक अवतार लनः , जो सज्जनोंको भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है। इस अवतारमें उनकी शक्ति महाकाली हैं, जो भक्तोंको अभीष्ट फल प्रदान करती हैं।
तारा -🏵️
शिव जी ने दूसरा अवतार तार नाम से लिया था इस नाम के कारण ही उनकी शक्ति की संज्ञा तारा हुई।
दूसरे अवतार तार नाम से उन्होनें धर्म की स्थापना की। तथा मुमुक्षुजनों को तारा। इस अवतार में इनकी शक्ति तारा करुणा और ममता का विग्रह थी ।
ये दोनों ही अपने भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाले एवं भोग तथा मोक्ष देनेवाले हैं।
तारनामा द्वितीयश्च ताराशक्तिस्तथैव सा।
भुक्तिमुक्तिप्रदौ चोभौ स्वसेवकसुखप्रदौ ॥
बाल भुवनेश्वरी -🏵️
तीसरा अवतार बाल भुवनेश्वरके नामसे पुकारा जाता है। उनकी शक्ति बाला भुवनेश्वरी कही जाती हैं, ये सत्पुरुषोंको सुख प्रदान करती हैं।
भुवनेशो हि बालाह्वस्तृतीयः परिकीर्तितः ।
भुवनेशी शिवा तत्र बालाह्वा सुखदा सताम् ॥
षोडशी – शिव जी ही षोडश नाम से अवतार लिए यह उनका चौथा अवतार षोडश नामक विद्येश के रूपमें हुआ है। षोडशी श्रीविद्या उनकी महाशक्ति हैं। यह अवतार भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाला तथा भोग एवं मोक्ष देनेवाला है।
श्रीविद्येशः षोडशाह्वः श्रीर्विद्या षोडशी शिवा।
चतुर्थो भक्तसुखदो भुक्तिमुक्तिफलप्रदः ॥
भैरवी -🏵️
शिव जी का पाँचवाँ अवतार भैरव नामसे प्रसिद्ध है, जो भक्तोंकी कामनाओंको निरन्तर पूर्ण करनेवाला है। इस कारण इनकी महाशक्ति गौरी ( गिरिजा) ही भैरवी नामसे प्रसिद्ध हुई । ये सज्जनों एवं उपासकोंकी कामनाएँ पूर्ण करती हैं।॥६॥
छिन्नमस्ता -🏵️
श्री शिवका छठा अवतार छिन्नमस्तक नामक कहा गया है और उनकी महाशक्ति छिन्नमस्तका गिरिजा ही हैं अन्य नही । जो अपने भक्तोंका मनोरथ पूर्ण करनेवाली हैं ॥७॥
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शिवके सातवें अवतारका नाम धूमवान् जो सम्पूर्ण कामनाओंका फल प्रदान करनेवाला है। उनकी शक्ति धूमावती हैं, जो सज्जन उपासकोंको फल देनेवाली हैं॥८॥
बगलामुखी -🏵️
शिवजीका आठवाँ अवतार बगलामुख है, जो सुख देनेवाला है। उनकी शक्ति ही बगलामुखी नाम से प्रसिद्ध हुई और वे शत्रु नष्ट करती है । जो परम आनन्दस्वरूपिणी हैं ॥९॥
शिवजीका नौवाँ अवतार मातंग नाम से विख्यात है और इनकी शक्ति ही मातंगी हैं, जो [अपने भक्तोंकी) समस्त कामनाओंका फल प्रदान करती हैं । १०
कमला -🏵️
शिवजीका कल्याणकारी दसवाँ अवतार कमल नामवाला है, जो भोग और मोक्ष देनेवाला है। उनकी शक्ति पार्वतीका नाम कमला है, जो भक्तोंका पालन करती हैं।
सन्दर्भ ग्रंथ ( शिव पुराण शतरुद्र संहिता अध्याय 17)
डॉक्टर रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार हरिद्वार