religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 9
religion and philosophy- 9
तंत्र एक सतत और दीर्घकालिक प्रक्रिया है, हलवा नहीं
प्रस्तुतकर्ता डॉक्टर रमेश खन्ना
तँत्र में सफल होने के लिए जातक का ग्रह दशा ,उसके प्रारब्ध, कुलदेवता, और सबसे महत्वपूर्ण गुरु सान्निध्य का सबसे ज्यादा महत्व है।
आजकल देखादेखी कि तँत्र के माध्यम से बहुत से पैसा कमाया जा सकता है। लोग तांत्रिक बनने की होड़ में अग्रसर हैं। मीडिया पर या यूट्यूब या किताबों से प्रभावित होकर अनजाने रास्ते की तरफ बढ़ने लगते हैं।
इसका फायदा भी तथाकथित गुरु भी लाभ उठाते हैं।
उनको ज्ञान ही नहीं कि तँत्र में सफलता पाना ऊर्जा हासिल करना इतना आसान नहीं है।
यह एक सतत और दीर्घकालिक प्रक्रिया है।
जिसमे समय के साथ पैसा और शरीर दौनों ही खर्च करने होते हैं।
जिस तरह एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के प्रति सर्वस्व न्योछावर कर देता है, वैसा ही यह आध्यात्म या तँत्र क्षेत्र है।
सफलता बड़ा संदेहास्पद विषय है।
आजकल के दावे एक दिन में पता नहीं क्या क्या सिद्ध कराने की बात लिखते नजर आते हैं। कुछ तो माँ काली को सीधे सामने प्रकट करने की बात करते नजर आते हैं।
वशीकरण का हाल तो बारिश का पानी बन गया है। कि आसमान से गिरा और घर मे घुस गया।
लिखते हैं तीन दिन में अभीष्ट आपके तलवे चाटेगा।
गजब हाल है, तँत्र न हुआ हलवा हो गया।
बनाया और खाया।
अरे इतना खिलवाड़ क्यूँ।
यह भी एक विज्ञान ही है।
ऊर्जा विज्ञान, ऊर्जा को एकत्रित कर उसका उपयोग करना।
वह भी सिर्फ मानव हित मेँ, स्वार्थ पूर्ति हेतु नहीं है।
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किसी भी ऊर्जा को प्राप्त करना, वर्जिश करने जैसा है।
जैसी मेहनत आप कर लोगे शरीर उतना ही वलिष्ठ और ओजमयी बनता जाएगा।
उसके लिए भी उसी अनुरूप भोजन भी चाहिए। तब कहीं जाकर सालों की मेहनत से कोई अच्छा सब पर भारी पड़ने वाला पहलवान बनता है।
ऐसा ही तँत्र में महारत हासिल करना है।
आपके ग्रह अनुकूल है कि नहीं।
गुरु दुर्बल तो नहीं है।
कोई पित्र रुष्ट तो नहीं हैं।
कुलदेवी रुष्ट तो नहीं है।
प्रारब्ध सफलता में बाधक तो नहीं हैं।
आपके परिवार में आपके सहयोगी हैं या नहीं।
आपकी माँ इस विषय मे आपके साथ है कि नहीं।
यह सब पहले अगर आपके अनुकूल हैं। तब उसके बाद बारी आती है। एक सिद्ध और योग्य गुरु की।
यदि गुरु जिनकी शरण मे आप हैं, वह निश्छल और निर्मोही है। उन्होंने उर्जायें हासिल कर रखी हैं। तो निश्चित ही आपको आपके ध्येय तक ले जाएंगे।
तांत्रिक या ज्योतिषी बनना तिलक लगाने जैसा है।
पर उस क्षेत्र में खुद को स्थायी कर पाना बड़ी टेढ़ी खीर है।
सालों की मेहनत के बाद भी साधक आज भी भटक रहे हैं।
कई तो थक हार कर ठंडे पड़ कर चुपचाप गुमनामी के दौर से गुजर रहें है।
इसीलिए मैं बार बार लिखता हूँ। कि फालतू के पचड़ों में न पड़ें।
एक गलत निर्णय आपके जीवन और आपके परिवार के जीवन को नरक बनाने के लिए काफी है।
बिन सिद्ध गुरु की शरण और उनके मुख से लिये बिना किया गया कोई भी मंत्र जप आपके औरा को तोड़ कर ऐसा द्वार खोल देगा। जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर पाएंगे। आपका शरीर एक धर्मशाला बन जाएगी। जिसमें कोई भी उल्टी सीधी ऊर्जा आएगी और आपकी ऊर्जा का उपभोग कर जाएगी। आप सिर्फ मेहनत करते रहेंगे मिलेगा कुछ नहीं। और कुछ समय बाद आपका सामाजिक वातावरण नरक बनने लगेगा। आपके बाद आपके परिवार का जीवन भी नरक बन जायेगा।
मेरे लेख की पुष्टि में लिखकर आता है कि मुझे बहुत वर्ष हो गए पर मुझे नुकसान ही हुआ है। लाभ आज तक नहीं हुआ।
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तो आप अपना और अपने परिवार का जीवन सुखमय बनाएं।
आध्यत्म या तँत्र मानव का हित ध्यान को केंद्रित करने का खुद की ऊर्जा को समेटने का माध्यम है। मन को शशक्त बनाने का माध्यम है।
न कि आपकी स्वार्थ पूर्ति के साधन।
आपके रास्ते के काटों को हटाने , आपके जीवन मे आने वाले व्यवधान को हटाने , आपके मन को स्थिर रखने का माध्यम है आध्यत्म और तँत्र।
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जिसने भी इससे अपने स्वार्थ की पूर्ति की कोशिश की वह चंद समय तक ही ऐसा कर पाता है। बाद में वह एक ऐसे अंधेरे में चल देता है। जहाँ से लौटना भी मुश्किल है।
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एक तरफ़ा रास्ता है आज अच्छाई की तरफ बढ़े तो प्यार इज्जत सम्मान सब मिलेगा। समाज सर पर बिताएगा।
पर गलत कुछ समय तक ही सर का ताज बनेगा।
बाद में कोई पूछेगा भी नहीं।
आप सभी से यही गुजारिश है कि खुद को प्रलोभनों से दूर रखें।
खुद अच्छे साधक या गुरु की शरण मे जाकर साधना करें।
उनसे वह सब प्राप्त करें, जो आप चाहते हैं।
एक सिद्ध साधक या गुरु ही आपके औरा को पहचान कर आपकी कमियों को दूर कर आपको एक सही रास्ता दिखायेगा।
जब वह रास्ता बताएँ तो सजह स्वीकार कर अनुशरण करें, यथासामर्थ्य दक्षिणा देकर शरणागत हो जावें।
सिद्ध साधक या गुरु की शरण मे जाते ही आपके सारे दोष स्वतः ही दूर होने लगेंगे।
आपको गुरु ढूंढने में यदि कठिनाई हो रही है, तो अपने इष्ट का स्मरण करें। उनसे अर्जी लगाएँ। वह आपकी सहायता अवश्य करेंगे।
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Jai Mata di🙏💕
तन्त्र विद्या वास्तव में एक गूढ़ साधना है हर एक के बसकी बात नहीं है