शांतिकुंज की संस्थापिका की 29वीं पुण्यतिथि पर हुए विभिन्न कार्यक्रम
पितृ कर्मों में निष्ठा करने वाले 1500 से अधिक लोगों ने श्राद्ध संस्कार किया।
शांतिकुंज में नारी जागरण को समर्पित रही अखिल विश्व गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा की 29वीं पुण्यतिथि आज 29 सितंबर को मनाई गयी।
इस अवसर पर शांतिकुंज के मुख्य सभागार में महिला मण्डल की बहिनों ने भव्य दीपमहायज्ञ का आयोजन सम्पन्न किया, जिसमें सैकड़ों परिजनों, विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्तागण एवं देश के विभिन्न कोने से आये श्रद्धालुओं ने सामूहिक श्राद्धकर्म किया।
इस दौरान आचार्यों ने माताजी के मातृत्व, कर्तृत्व एवं व्यक्तित्व को याद करते हुए उनके बताये सूत्रों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया।
अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या एवं संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि माताजीे बाल्यावस्था से ही नारियों के समान अधिकार के लिए काम करती रही।
मानव मात्र के उत्थान के लिए उन्होंने विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों को प्रारंभ किया और उसे गति दी,उन्होंने सन् 1971 से नारी उत्थान एवं महिला सशक्तिकरण के लिए काम करना प्रारंभ कर दिया था।
माताजी द्वारा संचालित कार्यक्रमों के आधार पर शांतिकुुंज में आज भी महिलाओं के लिए पौरोहित्य, संगीत, स्वावलंबन सहित विभिन्न गतिविधियाँ संचालित हो रही है। यहाँ से प्रशिक्षण लेने के बाद अब तक हजारों बहिनें अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रही हैं।
वहीं दूसरी ओर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में पितृपक्ष के प्रथम दिन पितृ कर्मों में निष्ठा करने वाले 1500 से अधिक लोगों ने श्राद्ध संस्कार किया। कहा जाता है कि हिन्दू धर्म के अनुसार श्राद्ध कर्म यानि आभ्युदई कर्म के लिए यह पखवाडा सर्वोत्तम है।
जिस तरह दीप को जलते रहने के लिए घी अथवा तेल देते रहना चाहिए उसी तरह वंश उद्दीपन के हेतु पितरों की तृप्ति आवश्यक है।
शांतिकुंज के संस्कार शाला, माताभगवती हॉल एवं विश्वामित्र शैड में कुल नौ पारियों में श्राद्ध संस्कार सम्पन्न कराया गया।
पं. शिवप्रसाद मिश्र व उदयकिशोर मिश्र सहित संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों में शास्त्रोक्त विधि से श्राद्ध संस्कार का वैदिक कर्मकाण्ड सम्पन्न कराया।
गौरतलब है कि शांतिकुंज में होने वाले प्रत्येक संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये जाते हैं।