हरिद्वार में सति प्रथा के विरुद्ध आंदोलन चलाया था सिक्ख गुरु अमरदास ने
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गुरु अमरदास को तीसरे नानक भी कहा जाता है।
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महंत रंजय सिंह ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं
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सिख गुरु अमरदास जिन्हें तिजी पादशाही भी कहा जाता है के 544वें प्रकाशोत्सव पर कनखल के डेरा बाबा दरगाह सिंह में अखंड पाठ का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बडी संख्या में सिख साधसंगत ने गुरुद्वारे पहुंच कर शबद किर्तन और अरदास के साथ लंगर परशादा ग्रहण किया।
डेरे के महंत रंजय सिंह ने देशवासियों को गुरु अमरदास के 544वें प्रकाशोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा गुरुओं के बलिदान हमें हमेशा सत्य के समर्थन के लिए प्रेरित करते हैं, उनके कृतित्व से हमारे संस्कारों को बहुत संबल मिलता है और हम जीवन को सही दिशा देने में सक्षम होते हैं।
हरिद्वार की उपनगरी कनखल में डेरा बाबा दरगाह सिंह नामक गुरुद्वारा स्थित है।
डेरा बाबा दरगाह सिंह, दरअसल सिक्खों के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास की तपस्थली है कहा जाता है यहां गुरु अमरदास ने लम्बे समय तक रह कर सति प्रथा के विरुद्ध और विधवा पुनर्विवाह का सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया जिसे तपस्या कहा गया।
गुरु अमरदास के माता पिता सनातनी हिन्दू थे और हर वर्ष हरिद्वार आया करते थे यहीं हरिद्वार की उपनगरी कनखल में सति घाट पर उन्होंने सतिप्रथा की विभिषिका से आहत होकर जनजागरण का निश्चय किया और गुरु अंगद देव के शिष्य हो कर गुरु नानक देव के पंथ के विस्तार के लिए काम किया।
आज भी सिक्खों के हर गुरुद्वारे में गुरु के लंगर की परम्परा मौजूद है इस लोक कल्याणकारी परम्परा के सूत्र धार गुरु अंगद देव के शिष्य गुरु अमरदास ही थे,” पहले पंगत फिर संगत ” का फरमान देने वाले गुरु अमरदास ने जिस जगह रह कर सति प्रथा का आंदोलन चलाया उसी स्थान पर कनखल हरिद्वार में एतेहासिक डेरा बाबा दरगाह सिंह नामक गुरुद्वारा स्थित है।
गुरु अमरदास को तीसरे नानक भी कहा जाता है, कालांतर में सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जब मुगल आक्रांताओं से लोहा ले रहे थे और खालसा पंथ तथा निर्मल भेख की स्थापना कर चुके थे तो उन्होंने अपने गुरुओं की तपस्थलीयों के संरक्षण का काम भी शुरू किया,इसी क्रम में गुर गोबिंद सिंह ने अपनी सेना के जनरलों को एक एक गुरु स्थान सौंप कर सिक्ख धर्म के प्रचार-प्रसार का दायित्व सौंपा, अपनी सेना के जनरल बाबा दरगाह सिंह निर्मल को गुरु गोबिंद सिंह ने कनखल में गुरु अमरदास के तपस्थली की देखभाल और संरक्षण का दायित्व सौंपा तभी से कनखल के गुरुद्वारे को डेरा बाबा दरगाह सिंह कहा जाता है।
इस अवसर पर बीबी बिनिन्दर कौर सोढ़ी, ग्रंथी देवेन्द्र सिंह,इंन्द्रजीत सिंह तथा शहर के गणमान्य व्यक्ति व साधसंगत उपस्थिति रहे।