चमोली। शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में पंच केदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ महादेव मंदिर के कपाट, शीतकाल के लिए परम्परानुसार पूर्ण विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। शुक्रवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में, मंदिर के मुख्य पुजारी ने पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ अंतिम पूजा-अर्चना संपन्न की। इस दौरान वातावरण शिव भक्तों के जयकारों से गूंज उठा।
कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ जी की उत्सव विग्रह डोली अपनी शीतकालीन गद्दीस्थल श्री गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर के लिए रवाना हुई। अब अगले छह महीनों तक,शीतकाल के दौरान, श्रद्धालु चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना गोपीनाथ मंदिर (गोपेश्वर) में कर सकेंगे।
बताते चलें करीब 11,808 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में पहुंचने के लिए कई बुग्याल पार कर 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।
रुद्रनाथ के पुजारी सुनील तिवारी ने बताया सुबह चार बजे से भगवान रुद्रनाथ की पूजा शुरू हो गई थी। सभी पूजाएं संपन्न कराने के बाद सुबह छह बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। साढ़े सात बजे डोली ने रुद्रनाथ से प्रस्थान किया।
रुद्रनाथ मन्दिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का एक मन्दिर है। यह पंचकेदार में से एक है। रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है।