भारतीय शास्त्रीय वेद रिचाओं के साथ लोक सभा का लोकार्पण, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति रहस्य बनी रही।

 

प्रधानमंत्री के साथ लोकसभा अध्यक्ष ने भी की सिंगोल स्थापना।

कल न्यू पार्लियामेंट हाउस में सेंगोल स्थापना के बाद आज सुबह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिनाम और विभिन्न धर्मों के शुभाशिषों के बीच सेंगोल की स्थापना कर भारत के नये संसद भवन का लोकार्पण किया।
पहले संसद भवन की सीढ़ियां लांघते हुए राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को श्रद्धा पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के साथ प्रधानमंत्री ने आदिनाम से आशीर्वाद लेने के बाद सिंगोल जो धर्मदंड को दंडवत प्रणाम करने के बाद शास्त्रीय वेद रिचाओं के स्वरों के बीच ससम्मान सिंगोल को ले जा कर लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के दाहिने ओर स्थापित किया,इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला लगातार प्रधानमंत्री के साथ रहे हालांकि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति पूरा समय खलती रही और एक रहस्य बनी रही, सम्भवतः इस अनुपस्थिति के पीछे धार्मिक कार्यों में महिला की मुश्किलात भी कारण हो सकती हैं हालांकि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति पर जम कर चर्चाएं हुई, और होनी स्वभाविक भी थीं।
बहरहाल एक बात जो मै बालपन से अनुभव करती रही कि हम भारतीय हैं और हमारे देश के क्रियाकलापों में भारतीय वैदिक विधान क्यों शामिल नहीं होते,माना कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है लेकिन वो तो राष्ट्र की एक भावना है एक सोच है किन्तु भारत देश में भारतीयता की नामौजूदगी एक दंश तो जरुर चुभाती थी, आज के लोकसभा लोकार्पण की विधि ने करोड़ों दिलों के अरमानों को पूरा किया।

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