CRIME मेहंदीपुर बालाजी में मकर संक्रांति के दिन रामा-कृष्णा धर्मशाला में मृत मिले देहरादून के एक परिवार के 4 सदस्यों की मामले का खुलासा करने में राजस्थान पुलिस लगी हुई है। करौली के पुलिस कप्तान ब्रजेश ज्योति उपाध्याय के नेतृत्व में टोडाभीम थाने की पुलिस टीम इस मामले का खुलासा करने के लिए जांच में लगी हुई है। राजस्थान के करौली जिले की सीमा पर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के सामने समाधि वाली गली में रामा-कृष्णा आश्रम धर्मशाला है। CRIME

CRIME इस धर्मशाला के कमरा नंबर 119 की सफाई करने के लिए मंगलवार शाम को करीब 7 बजे सफाई कर्मचारी मोहनलाल योगी गया था। जब मोहनलाल वहां पहुंचा तो कमरे का दरवाजा थोड़ा खुला था। मोहनलाल ने जब अंदर झांका तो एक महिला अंदर फर्श पर पड़ी दिखी। सफाई कर्मचारी दरवाजा खोलकर अंदर पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर उसकी चीख निकल गई। अंदर चार लोगों को शव पड़े थे। सफाई कर्मचारी मोहनलाल ने तुरंत इसकी सूचना धर्मशाला मालिक गुड्डू शर्मा को दी। गुड्डू ने तुरंत पुलिस को फोन किया। CRIME

सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने के बाद पुलिस को पता चला कि सुरेंद्र अपने फेमिली मेंबर्स के साथ मंगलवार यानी मकर संक्रांति की सुबह बालाजी महाराज के दर्शनों के लिए मंदिर गए थे। मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद सरीब 8 बजे वो धर्मशाला लौट आए थे। मंदिर से लौटने के बाद सुरेंद्र की तबीयत खराब हुई। परिजन उन्हें ई रिक्शा पर बिठाकर अस्पताल ले गए। डॉक्टर को दिखाकर धर्मशाला लौट आए।

शाम 6 बजे तक परिवार के सदस्यों की मूवमेंट धर्मशाला में लगे सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दी। आखिर एक घंटे के अंदर क्या हुआ कि शाम 7 बजे परिवार के चारों सदस्य कमरे में मृत पाए गए। सुरेंद्र की पत्नी कमलेश और बेटी नीलम के शव बेड के पास मिले। सुरेंद्र बेड पर पड़े थे। बेटे नितिन का शव बाथरूम के गेट के बीच में पड़ा मिला था।

घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने कमलेश के भतीजे डॉ सुशील उपाध्याय को सूचना दी। डॉ सुशील उपाध्याय पतंजलि में फिजिशियन हैं। डॉ सुशील ने बताया कि उनके फूफा सुरेंद्र कुमार उम्र 61 वर्ष उनके पुत्र ताराचंद और पूरा परिवार खुशमिजाज था। फूफा और बुआजी कमलेश बालाजी महाराज के भक्त थे। वो लोग प्रतिदिन घर पर बालाजी की पूजा किया करते थे।

डॉ सुशील ने बताया कि वो बालाजी के दर्शन को आते रहते थे। इससे 2 साल पहले वो मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के लिए आए थे। इस बार अकर संक्रांति पर फूफा सुरेंद्र के साथ पत्नी कमलेश (57) बेटा नितिन (33) और बेटी नीलम (31) भी आए थे। परिवार ने नितिन की आईडी पर 12 जनवरी को 119 नंबर का कमरा किराए पर लिया था। उनकी बुकिंग 14 जनवरी तक ही थी और उसी दिन उन्हें वहां से निकलना था। लेकिन न जाने मंदिर दर्शन करने के बाद क्या हुआ कि हंसता खेलता परिवार खत्म हो गया। डॉ सुशील उपाध्याय ने बताया कि परिवार में सभी लोग खुशदिल स्वभाव के थे।

सुरेंद्र कुमार और उनका बेटा देहरादून में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करते थे। सुरेंद्र कुमार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में ड्राइवर का काम करते थे। बेटा नितिन बढ़िया पद पर कार्यरत था। सुरेंद्र की पत्नी कमलेश घरेलू महिला थीं। बेटी नीलम की शादी हो गई थी। हालांकि ससुराल में मनमुटाव के कारण वो करीब 5 साल से मायके में ही रह रही थी। उसका तलाक का केस चल रहा था। उधर बेटे नितिन के लिए विवाह के रिश्ते आ रहे थे।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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