ग्रामोत्थान परियोजना के तहत महिलाओं की आजीविका को संबल देने की कहानी धरातल पर दिखने लगी है। यमकेश्वर विकासखंड के गंगा भोगपुर मल्ला गांव की सीमा देवी “फूडवैन आजीविका मॉडल” को अपनाकर खुद का जीवन संवारने के साथ–साथ क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिये भी प्रेरणा बन चुकी हैं।

सीमा देवी जय माँ लक्ष्मी समूह की सदस्य होते हुये भी केवल घरेलू कामकाज और कृषि-पशुपालन तक सीमित थीं। इसी बीच उन्होंने जुलाई 2024 में गंगा माता संगठन की बैठक में फूडवैन शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत उनकी योजना को हरी झंडी मिली और 03 लाख रुपये की उद्यम लागत पर उन्हें 75 हजार रूपये का अनुदान दिया गया। अगस्त 2024 में उन्होंने अपने पुराने ऑटो वाहन को नये रूप में फूडवैन में बदलकर यम्मी हॉट स्पाइसी नाम से व्यवसाय शुरू किया। उनकी वैन पर मैगी, मक्खन-ब्रेड, चाय-कॉफी, दाल-चावल, सब्जी-रोटी, मौसमी पकवान, शिंकजी, सूप, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स और बिस्कुट जैसी सामग्री उपलब्ध है। गांव-क्षेत्र में यह वैन स्वाद और भरोसे की पहचान बन गयी है।

आज उनकी फूडवैन उन्हें रोज़ाना 1000 से 1500 रुपए तक की आय दे रही है। विशेष आयोजनों में यह आय कई गुना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, सीमा देवी ने एक स्थानीय को भी काम पर रखकर दूसरे परिवार की आजीविका सुनिश्चित की है। उनके एक प्रयास से दो परिवारों का भरण-पोषण हो रहा है। सीमा देवी की सफलता अब उन्नति महिला स्वायत्त सहकारिता, किमसार की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है। संगठन भविष्य में इसी मॉडल को अपनाकर और महिलाओं को आजीविका से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। सीमा देवी कहती हैं कि यदि आत्मविश्वास और सही मार्गदर्शन मिले, तो गांव की महिलाएं भी शहरों की तरह आगे बढ़ सकती हैं। पहले मेरी पहचान केवल गृहणी तक सीमित थी, लेकिन अब मैं पति के साथ मिलकर खुद का व्यवसाय चला रही हूँ। वही गाड़ी जो पहले सवारी ढोती थी, आज मेरे सपनों को दौड़ा रही है।

उनकी मेहनत और लगन को देखकर पौड़ी जनपद के मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने स्वयं मौके पर पहुंचकर उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि ग्रामोत्थान परियोजना का वास्तविक उद्देश्य तभी पूरा होता है, जब ग्रामीण महिला अपनी आजीविका स्वयं खड़ी करे और आत्मनिर्भर बने। सीमा देवी ने सीमित संसाधनों में जिस साहस और दूरदृष्टि के साथ पुराने वाहन को फूडवैन में बदलकर नया व्यवसाय शुरू किया है, वह पूरे जनपद के लिये एक प्रेरणादायक उदाहरण है। यह मॉडल ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। प्रशासन का प्रयास रहेगा कि इस तरह की पहल को और अधिक महिलाओं तक पहुँचाया जाए, ताकि स्वावलंबन की यह ज्योति गांव-गांव तक फैले।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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