गंगोत्री/उत्तरकाशी, 22 अप्रैल 2025 गंगोत्री धाम में स्थित तपो गंगा ध्यान कुटीर पर 20 अप्रैल की रात को हुए एक हमले ने पूरे संत समाज को स्तब्ध कर दिया है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पायलट बाबा के आश्रम से जुड़े कुछ लोगों ने रात्रि 9:30 से 10:00 बजे के बीच कुटीर की दीवार तोड़कर जबरन प्रवेश किया और परिसर में मौजूद वस्तुओं को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही कीमती सामग्री उठा ले गए।कुटीर में रह रहे 109 वर्षीय वरिष्ठ संत रामानंद सरस्वती ने इस घटना को “सनातन परंपरा पर हमला” बताते हुए गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि गंगोत्री जैसे पवित्र तीर्थस्थल पर इस प्रकार की अराजकता पहले कभी नहीं देखी।

साध्वी कंचन दसवानी ने वीडियो के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि हमलावर बड़े-बड़े हथियार लेकर आए थे और पूरी दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया। उन्होंने कहा, “सबसे अफसोस की बात यह रही कि हमारी मदद के लिए कोई नहीं आया। यहां तक कि हमारी एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई।” उन्होंने पायलट बाबा के साधुओं को खतरनाक किस्म के लोग” बताते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने भी घटना की पुष्टि करते हुए पायलट बाबा से जुड़े साधुओं पर लंबे समय से क्षेत्र में अव्यवस्था फैलाने, धमकाने और ज़मीन कब्जाने जैसे आरोप लगाए हैं।आश्रम प्रबंधन ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत सौंपकर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेताया कि यदि प्रशासन ने इस बार भी चुप्पी साधी, तो गंगोत्री की पवित्रता और शांति को बचा पाना कठिन हो जाएगा।

गंगोत्री जैसे पवित्र धार्मिक स्थल पर हुई हिंसा को लेकर धार्मिक संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने गहरी चिंता और खेद व्यक्त किया है। तपो गंगा ध्यान कुटीर के साधु-संतों सहित विभिन्न धार्मिक संगठनों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएँ न केवल अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं, बल्कि यह उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा के लिए भी एक गंभीर खतरा साबित हो सकती हैं। उनका कहना है कि गंगोत्री जैसे पवित्र स्थल की शांति और श्रद्धा का उल्लंघन करना न केवल स्थानीय समुदाय के लिए, बल्कि समग्र राज्य और देश के लिए भी अपमानजनक है।

धार्मिक संगठनों का यह भी कहना है कि इस हिंसा के पीछे छिपे उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। संत समाज और श्रद्धालु इस बात पर जोर दे रहे हैं कि न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से ऐसे तत्वों को सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके और कोई भी व्यक्ति या समूह इस पवित्र स्थल की मर्यादा और गरिमा को भंग करने का दुस्साहस न कर पाए।

संत समाज का यह भी मानना है कि गंगोत्री की पवित्रता की रक्षा करना केवल धार्मिक संगठनों का ही कार्य नहीं है, बल्कि यह समग्र समाज की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने राज्य सरकार और प्रशासन से यह अपील की है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जाए। इस घटनाक्रम ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि गंगोत्री जैसी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और शांति बनाए रखना समय की एक बड़ी आवश्यकता है, जिससे श्रद्धालु बिना किसी भय के अपनी धार्मिक यात्रा कर सकें।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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