भूस्खलन,कई बार खतरे में आया मनसा देवी मंदिर।

सीमेंट सरिये से ग्रोटिंग कर सुरक्षित किया गया।

मनसा देवी पहाड़ी के भूस्खलन वाले क्षेत्रों का विशेषज्ञ टीम ने पुनः किया स्थलीय निरीक्षण

31 जुलाई,हरिद्वार में मनसादेवी पहाड़ी पर हो रहे भू-स्खलन को देखते हुये जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर विशेषज्ञों की टीम ने निदेशक यूएलएमएमसी शान्तनू सरकार के निर्देशन में सोमवार को पुनः मनसा देवी पहाड़ी के भूस्खलन वाले क्षेत्रों का गहन स्थलीय निरीक्षण किया।

भूस्खलन,कई बार खतरे में आया मनसा देवी मंदिर।

इस अवसर पर राजस्व, नगर निगम, लोक निर्माण, राजाजी पार्क, आपदा प्रबन्धन के अधिकारियों सहित सम्बन्धित अधिकारीगण भी उनके साथ थे।

भूस्खलन,कई बार खतरे में आया मनसा देवी मंदिर।
भूस्खलन,कई बार खतरे में आया मनसा देवी मंदिर।

वैसे तो मनसा देवी भू स्खलन कोई नई बात नहीं, चिकनी और रेतीली मिट्टी के इस पर्वत को कोई बिल्वपर्वत श्रृंखला कहता है तो कोई शिवालिक पर्वत श्रृंखला,चुल्हे अंगीठी बनाने और आंगन लीपने के काम आने वाली, किन्तु थोडी पथरीली चट्टानों वाली मांस देवी की पहाड़ियां कई बार चिंता जनक स्थिती तक पहुंची हैं।
लगभग अब से बीस से पच्चीस वर्ष पहले मनसा देवी मंदिर गम्भीर खतरे में आ गया था तब मनसा देवी मैनेजमेंट को मंदिर के चारों ओर ग्रोटींग करवा कर मंदिर को सुरक्षित करना पड़ा था।
लगभग इतने ही समय पहले काली मंदिर के पास रेलवे लाईन के ऊपर सैकड़ों टन मलबा उफन उफन कर फैल गया था,मलबे के आने का कोई सोर्स ज्ञात नहीं हो रहा था, मलबा ज़मीन से ही उफन कर सड़क और रेल यातायात को पूरी तरह ध्वस्त कर चुका था, बीईजी रुड़की और भूवैज्ञानिकों की उपस्थिति भी कोई कारगर उपाय नहीं कर पा रही थी कई दिनों तक रेल यातायात और सड़क मार्ग बंद रहने के बाद यातायात खोला गया था।1986के कुंभ के दौरान भी हिल बाईपास एक समस्या बन कर खडा हुआ था। मनसा देवी से छुटपुट भूस्खलन तो हर वर्ष की कहानी है, इसीलिए हिलबाईपास कभी भी एक उपयोगी प्रयत्न नहीं बन पाया, हर कुंभ मेले से पहले करोड़ों रुपए इस पर बहा दिया जाता है।
इस साल अतिवृष्टि ने फिर एक बार मनसा देवी पर्वत को पोपला कर दिया है।

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