हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पतंजलि विश्वविद्यालय पहुॅचकर 62वे अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के 25 से भी अधिक प्रांतों तथा पड़ोसी देश नेपाल से आए हुए विद्वानजन, शोधकर्ताओं, शास्त्र प्रेमी और विद्यार्थियों एवं भविष्य के कुलपति और भविष्य के देश के कर्णाधार जो देश और दुनिया में भारत के सनातन, संस्कृति और संस्कारों को दुनिया के अंदर ले जाने का जिनके ऊपर दायित्व है ऐसे सभी पधारे महानुभावों, छात्र-छात्राओं का देवभूमि उत्तराखंड में आने पर सभी का हृदय से स्वागत स्वागत व अभिनंदन किया।

उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े विद्वान जनों के बीच आकर अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है और यहां के वातावरण को देखकर पूरा विश्वास है कि दो दिवसीय शास्त्रोत्सव निश्चित रूप से जिन उद्देश्यों के लिए आयोजन एवं समागम किया गया, उन उद्देश्यों को प्राप्त करने में अवश्य सफल रहेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से एक और हमारे ऋषि, मुनियों द्वारा स्थापित ज्ञान के विभिन्न आयामों को सहजने का कार्य करते हैं, वहीं भारतीय संस्कृति, परम्परा एवं विरासत को नई एवं भावी पीढ़ी तक पहुंचाने विरासत को स्थानांतरित करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

उन्होंने कहा कि उत्सव में आयोजित विभिन्न स्पर्धाएं निश्चित रूप से हमारी प्राचीन शास्त्र परंपरा को आधुनिक रूप में भी जीवंत रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित होगी, जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने छोटी सी आयु में अद्वैत वेदांत का पूर्ण ज्ञान अर्जित कर संपूर्ण भारत में ज्ञान की ज्योति जागृत की थी, उसी प्रकार शास्त्रोत्सव प्रतिस्पर्धा में प्रतिभा करने वाले सभी प्रतिभागी भी हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा है इसको आगे बढ़ाने वाले अग्रदूत हैं। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए शुभकामनाएं दी और इस अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय, संस्कृत एवं पतंजलि विश्वविद्यालय का भी धन्यवाद किया।

उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र केवल ग्रंथ या किताब ही नहीं हैं बल्कि इस संपूर्ण सृष्टि के जितने रहस्य हैं उन रहस्यों को जानने और समझने का एक विशिष्ट माध्यम है। उन्होंने कहा कि हमारे समस्त वेदों, उपनिषदों और पुराणों आदि में ऐसे सूत्र निहित हैं जिनसे प्रेरणा लेकर आज आधुनिक विज्ञान भी सशक्त हो रहा है।

उन्होंने कहा कि शास्त्रोत्सव से एक नई ऊर्जा के अनुभूति होगी। उन्होंने कहा कि हमारे वेदों एवं संस्कृति में जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं के बीच संतुलन की भावना निहित है जो इसे सभी ज्ञान परंपराओं से श्रेष्ठ बनाती है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र जहां एक और योगासन, प्राणायाम और ध्यान द्वारा शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने की बात सिखाते हैं, वही अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, व्याकरण ,जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र और खगोल शास्त्र आदि ऐसे ऐसे गूढ़ रहस्यो से पर्दा उठाते हैं जिन्हें देखकर आधुनिक गणितज्ञ और वैज्ञानिक भी सच में आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आज युवा पीढ़ी को यह बताने की आवश्यकता है कि भारतीय गणितज्ञ ने शून्य और दशमलव जैसी अद्वितीय अवधारणा को विकसित किया था जिनके ऊपर आज का पूरा आधुनिक विज्ञान टिका हुआ है और एंेसे ही न जाने कितने रहस्य आज की युवा पीढ़ी को हम सबको बताना होगा, जिसके लिए इस शास्त्रोत्सव जैसे आयोजन बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी विरासत ऋषि,मुनियों के द्वारा की गई तपस्या, उनके अनुसंधान, विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित तथा स्थानांतरित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में आज भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पुनः सम्मान मिल रहा है, उनसे प्रेरणा लेकर राज्य सरकार भी प्रदेश में प्राचीन संस्कृति और ज्ञान को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में निरंतर काम कर रही है, लगातार एक पल एवं एक क्षण भी रुके बिना जो भी धार्मिक स्थान एवं मंदिर है उन सभी के नवनिर्माण, पुनर्निर्माण एवं उनके विस्तार की दिशा में निरंतर से कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव, आचार्य बाल कृष्ण एवं समस्त पतंजलि परिवार को विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा कि इनके द्वारा प्राचीन भारतीय ज्ञान को आने वाली नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का जो महा अभियान प्रारंभ किया गया है उसके सफल परिणाम हमारे सामने आने लगे है।

उन्होंने कहा कि हम लोग रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों के बारे में जानकारी रखते हैं, लेकिन वेदों और उपनिषदों के विषय में बहुत कम जानते हैं। उन्होंने सभी विद्वानजनों से आवाहन करते हुए कहा कि सभी विद्वान इस पर विचार करें कि कैसे हम अपनी युवा पीढ़ी, आने वाली पीढ़ी को सरल और व्यावहारिक रूप से वेदों और उपनिषदों को सरलता से ज्ञान दे सकते हैं। युवा पीढ़ी वेदों एवं उप निषदों को रुचि से पढ़े, युवाओं के मन में भावना जागृत हो, युवा पीढ़ी को ज्ञात हो कि यह कितने महान ग्रंथ हैं, इनके अंदर कितनी विशेषताएं और विशिष्टताएं हैं, इन ग्रन्थों में किस प्रकार का ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है, किस प्रकार के तत्व छिपे हुए हैं, किस प्रकार धर्म की व्याख्या की गई है, किस मार्ग पर चलना है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन विषयों पर सभी विद्वान अवश्य विचार करेंगे और एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करेंगे जिसके द्वारा हमारी आने वाली पीढ़ी, छात्र-छात्राएं भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रमुख स्तंभों वेदों और उपनिषदों को समझने में सक्षम हो सकें। उन्होंने शास्त्रोत्सव के सफल आयोजन के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा पतंजलि विश्वविद्यालय का अभिनंदन एवं आभार प्रकट किया।

इस दौरान कुलपति केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक, कुलपति पतंजलि विश्वविद्यालय आचार्य बालकृष्ण, योग गुरू बाबा रामदेव ने भी अपने-अपने विचार रखे।

इस अवसर पर विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, महापौर अनीता अग्रवाल, जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल, ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा, एचआरडीए सचिव मनीष कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, पूर्व कैबीनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, विद्यार्थी, शोधार्थी और देश के कोने-कोने से पधारे विद्वान आदि उपस्थित थे।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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