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Pilot to a Baba, कौन सी थी वो रौशनी जिसकी तलाश में पायलट से बाबा बने कपिल सिंह, आज विलीन हो गये उस रौशनी में।

Pilot to a Baba, Which was the light that Kapil Singh, who transformed from a pilot to a Baba, was looking for, today he merged in that light.

ब्रह्मलीन पायलट बाबा का आज षोडषी संस्कार 

1986 में लिए बाबा पायलट के एक साक्षात्कार की यादें – शशि शर्मा 

 

Pilot to a Baba, महायोगी पायलट बाबा ब्रह्मलीन हो गए आज उनका षोडषी संस्कार है, आज बाबा शायद उस ज्योति में विलीन हो जायेंगे, जिसकी चर्चा करते हुए उन्होंने अपने आप को विंग कमांडर की गरीमा से अलग करते हुए संन्यास लेने का कारण बताया था।
बात 1986 हरिद्वार पूर्ण कुम्भ मेले की है, भारतीय वायुसेना का एक विंग कमांडर साधू बन कर हरिद्वार से देहरादून को जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे 10×10 का छोटा सा टैंट लगाये एक तख्त पर विराजमान था, मुझे जर्नलिज्म में आये लगभग डेढ़ साल ही हुआ था,तब तक मैंने पीटीआई को ज्वाइन नहीं किया था, दैनिक दून दर्पण का तब देहरादून, ऋषिकेश, से लेकर मेरठ तक जबरदस्त दबदबा था,तब हरिद्वार में मात्र छः सात ही पत्रकार थे।

Pilot to a Baba, मेरे लिए जिज्ञासा का कारण था एक विंग कमांडर की नौकरी करते हुए छोड़ कर एक व्यक्ति का अचानक साधू बन जाना।
नरसिंह भाईजी जो मेरे पत्रकारिता के गुरू भी थे बाबा पायलट के एक इंटरव्यू के लिए बालकृष्ण जी भी हम बाबा पायलट से मिलने गये, वो सामान्यतः लोगों से कम मिलते थे, खैर इंटरव्यू शुरू हुआ मेरा सवाल वोही था जो दुनिया भर के लोगों की जिज्ञासा थी हर कोई अपने स्तर पर अच्छी बुरी हर तरह की चर्चा कर रहा था, सामान्य बात चीत के बाद मैंने बाबा से संन्यास का कारण पूछा ,उनका उत्तर अद्भुत था, उन्होंने कहा मै फ्लाईट पर था अचानक मुझे एक अद्भुत रौशनी नजर आई और मै उस रौशनी में प्रवेश करता चला गया, मैं एक फाइटर पायलट था मुझ पर इतनी  जिम्मेदारी थी, मैं चिंतित हो गया लेकिन रौशनी की चकाचौंध से कुछ सूझ नहीं रहा था,वो रौशनी एक डिवाईन रौशनी थी ऐसे जैसे कोई कुछ कहना चाहता है फिर अचानक सब साफ हो गया और फ्लाईट से लौटने के बाद मेरा जीवन बदल गया मै पुनः उस रौशनी की खोज में पर्वतों पर निकल गया ,बेचैन और उत्सुक मैंने पिंडारी ग्लेशियर को तप और रौशनी की खोज का केंद्र चुना और वहीं बैठ गया।

Pilot to a Baba, अब ये तो याद नहीं उन्होंने कितना समय वहां बिताया लेकिन लौट कर नौकरी छोड़ दी और संन्यासी बन भू समाधि भी ली कई बार उन्होंने भू समाधि ली दस दस दिन भूमि के भीतर बैठ कर तप करते बिताये।

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उपर ये जो आप तस्वीर देख रहे हैं, 1986 के कुंभ में बस इतना ही था बाबा का कुम्भ मेला हरिद्वार में साम्राज्य।
साल1989 में इलाहाबाद कुंभ मेला शुरू हुआ मै पीटीआई ज्वाइन कर चुकी थी, हम इलाहाबाद जा कर पायलट बाबा के दारागंज रोड पर पिलर नम्बर 2 के नीचे कैम्प लगा था हम वहीं ठहरे, तब पहली बार बाबा के पास एक यूक्रेनियन फैमिली ठहरने आई थी उनकी एक बच्ची थी क्लोवि बच्चों के साथ घुल-मिल गई।

Pilot to a Baba, कौन सी थी वो रौशनी जिसकी तलाश में पायलट से बाबा बने कपिल सिंह, आज विलीन हो गये उस रौशनी में।
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Pilot to a Baba, उसके बाद बाबा का युक्रेनियन भक्त परिवार बढता गया, बाबा ने दिल्ली पश्चिम विहार में एक आश्रम बना लिया था वहां भी उन्होंने भू समाधि का आयोजन किया, हरिद्वार में भी किया पश्चिम विहार का कार्यक्रम शायद 10 दिन का था, मैं भी कवर करने बाबा के बुलावे पर परिवार सहित गई थी।

उसके बाद तो बाबा की विदेशी भक्त संख्या अप्रत्याशित रूप से बढी हरिद्वार 1992 में शायद बाबा जूना अखाड़े से जुड गए 2010 के कुम्भ में बडा कैम्प लगाया बाबा मेरी कलम के मुरीद थे और मेरे परिवार के प्रति उनका परम स्नेह रहा, अपने हर कार्यक्रम में अवश्य उपस्थित होने के लिए अवश्य आमंत्रित करते थे, एक बार कनखल में एक कार्यक्रम आयोजित किया था,एक स्थानीय उद्घघोषक मेरे नाम को लगातार इग्नोर कर रहा था, जो बाबा जी को बहुत नागवार गुजरा उन्होंने मंच से उठ कर स्वयं माईक से मेरे नाम की घोषणा की। उनका अपार स्नेह हमें उनके प्रति नतमस्तक करता है।सादर श्रद्धांजलि 💐🙏Pilot to a Baba

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