साधक के जीवन शैली सुधारती है साधना – डाक्टर पण्ड्या
शांतिकुंज में 27 कुण्डीय तथा देसंविवि में 11 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन
हरिद्वार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में नवरात्र साधना में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को साधना के दौरान आहार विहार को संयमित रखना चाहिए।
साधना साधक के जीवन शैली को सुधारती है। साधना में दुष्कर से दुष्कर प्रारब्ध को काटने या कम करने की शक्ति विद्यमान है। भगवान को पाने के लिए अंतःकरण में अटूट निष्ठा एवं अनवरत साधना करने का धैर्य होना चाहिए। मीराबाई, भक्त प्रहलाद आदि ने अपनी श्रद्धा भक्ति एवं दृढ इच्छा शक्ति से भगवान को प्राप्त किया था। भगवान से मिलन हेतु साधना करने का यह सर्वोत्तम समय है।
डॉक्टर पण्ड्या ने कहा कि जीवन साधना को इतना प्रखर व प्राणवान बनायें, जिससे भगवान की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपको इच्छित फल की प्राप्ति हो। अपने अनुभवों को साझा करते हुए डाक्टर पण्ड्या ने कहा कि मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो, तो ईश्वर की कृपा सफलता के रूप में प्राप्त होती है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉक्टर पण्ड्या ने पं. श्रीराम शर्मा आचार्य आदि की अनवरत साधना के फलों को सरल ढंग से समझाया। इस अवसर पर विद्यार्थियों के साधनात्मक, व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक जिज्ञासों का समाधान किया। साथ ही जीवन साधना तथा विद्यार्थी जीवन में सफलता के विविध सूत्रों की जानकारी दी।
इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों द्वारा प्रस्तुत गीत ‘कर रहे हैं साधना हम, शक्ति गुरुवर आप देना….’ ने उपस्थित साधकों को भक्तिभाव में झूमने के लिए विवश किया।
वहीं शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति के अवसर पर गायत्री के सिद्ध साधक युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की तपःस्थली शांतिकुंज परिसर में 27 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ तथा देवसंस्कृति विवि परिसर में 11 कुण्डीय का आयोजन हुआ।
इसमें शारदीय नवरात्र अनुष्ठान में जुटे देश-विदेश से आये हजारों साधकों सहित शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के अंतेःवासी भाई-बहिनों, छात्र-छात्राओं ने अपनी साधना की पूर्णाहुति की। इस अवसर पर साधकों, विद्यार्थियों के चेहरे पर उत्साह एवं प्रसन्नता झलक रही थी। दोनों परिसरों में सामूहिक भोज का भी आयोजन हुआ।