Vice President, आप सब छात्र छात्राएं नए संसद भवन में आयें, आप मेरे मेहमान होंगे-उपराष्ट्रपति
Vice President, All you students should come to the new Parliament House, I will be your host – Vice President
दंड विधान के अंग्रेजी कानूनों में पिस रहे थे भारत के लोग, प्रधानमंत्री ने दंड विधान को न्याय विधान में बदल दिया-धनखड
मेरे सामने जो छात्र-छात्रायें हैं वो 2047 के भारत के योद्धा हैं- उपराष्ट्रपति
उप राष्ट्रपति ने गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
Vice President, 23 दिसंबर ,गुरुकुल हमारी संस्कृति हमारे दर्शन का प्रमुख केंद्र है, समय आ गया है की हम वेदों में झाँकें, लेकिन चिंता होती है कि बहुत से लोगों ने तो वेदों में झांका तक नहीं है |
भारत के उप राष्ट्रपति Vice President, जगदीप धनखड़ आज शनिवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम‘‘वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ’’ का शुभारंभ दीप जला कर शुभारंभ करने के बाद मंच से संबोधित का रहे थे, अवसर था महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और गुरुकुल के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद के 79 वें बलिदान दिवस पर गुरुकुल काँगड़ी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्टी के स्थापना सत्र के शुभारंभ का |
सैकड़ों छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बहुत गंभीर चिंतन का प्रदर्शन करते हुए भारतीय संस्कृति और वेद विज्ञान पर बोलते हुए कहा,भारत का नया संसद भवन पूरी तरह भारतीयता का, और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करता है,उसकी स्थापत्य कला मेँ मोर भी है और कमल भी मैं गुरुकुल के तमाम छात्र छात्राओं को भारत के नए संसद भवन में आने का निमंत्रण देता हूँ, मेरा कुलाधिपति और कुलपति से आग्रह है की जल्द से जल्द सभी को नए संसद भवन का भ्रमण करायें, आप सब वहाँ आयें मैं आपका मेजबान बनूँगा, नया संसद भवन देख कर आप सबको भारत की संस्कृति का दर्शन होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा हमें गुलामी की हर सोच से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं इस संदर्भ में हाल ही में संसद द्वारा पारित किए गए तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा अंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड रखा था,हमारे लोग पिस रहे थे क्योंकि उन कानूनों का उद्देश्य था, दंड विधान,भारत की संसद में प्रधानमंत्री की प्रेरणा से दंड विधान को न्याय विधान में परिवर्तित कर दिया गया है , और यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
Vice President,उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा वेद विज्ञान महाकुंभ का यह पर्व हमें हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान के प्रति गर्व महसूस करने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने जोर दिया कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम कौन हैं,लेकिन यदि थोड़ा अंदर झांकेंगे तो पता लगेगा कि विश्व में हमारा मुकाबला करने वाला और कोई देश नहीं है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 तक भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र होगा बल्कि विश्व गुरु की अपनी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि मेरे सामने जो छात्र-छात्रायें हैं वो 2047 के भारत के योद्धा हैं और निश्चित रूप से सफलता अर्जित करेंगे।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किए गए पंच प्रण का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा आने वाले 25 साल के लिए देश को पंच प्रण पर अपनी शक्ति और संकल्पों को केंद्रित करना चाहिए, आप इसकी सार्थक शुरुआत कीजिए।
Vice President,उपराष्ट्रपति ने कहा भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रणेता महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वमी श्रद्धानंद जैसे मनीषियों की पावन स्मृति में आयोजित यह महाकुंभ, उनके महान जीवन के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है, इस महाकुंभ के माध्यम से वेद विज्ञान को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा भारत की सबसे श्रेष्ठ भूमि पर आना मेरा परम सौभाग्य है, उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं, आज पहली बार आने का मौका मिला है। नाम से ऊर्जावान होता रहा हूं, आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा। धनखड़ ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व सृजन का प्रमुख केंद्र है।
उन्होंने उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा आप एक प्रेरणा के स्रोत हैं, राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र है। कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हुए हैं। मेरे मन में कोई शंका नहीं है आपकी विद्वता – संकल्प को देखते हुए कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी, आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए!
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस महान देश में कुछ लोग हैं, गिने चुने लोग हैं, वे भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं, आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए। वह हमारे ही हैं लेकिन भटके हुए हैं। उन्हें मातृ भाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार ही नहीं है! यह कैसी बात है? अब वह दिन दूर नहीं है जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी।
कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शिरकत की।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा स्वामी दयानन्द सरस्वती ने वेद और भारतीय संस्कृति के उन्नयन के लिए जो संकल्प लिया था उस पुनीत संकल्प को साकार करने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द और उनके गुरुकुल की भूमिका न केवल उल्लेखनीय है बल्कि यह प्रेरणादायक भी है।
राज्यपाल ने कहा कि इस संस्था ने चरित्र और राष्ट्र निर्माण में जो अभूतपूर्व भूमिका निभाई है वह देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान के माध्यम से चरित्र निर्माण की दिशा में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय भूमिका रही है।
राज्यपाल ने कहा कि वेद विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न स्रोतों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ समेकित करते हुए एक समावेशी शिक्षण और अनुसंधान का अंग बनाए जाने के उपाय अकादमिक जगत को खोजने होंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने पुरातन ज्ञान को आधुनिकता के साथ मिलाना होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा और वेदों का ज्ञान हमें उचित मार्ग दिखा सकता है क्योंकि वहाँ मानवीयता और संवेदनशीलता के साथ ज्ञान का उद्भव और विकास हुआ है। हमें अपने आत्म मूल्य को समझना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण, विश्वशांति, विश्व बंधुत्व, आपदा प्रबंधन आदि ज्वलंत विषयों के समाधान खोजने के वैदिक विज्ञान की तरफ लौटना होगा। उन्होंने कहा कि अकादमिक जगत में क्रियान्वित करने का यह सर्वाधिक उपयुक्त समय है। राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से हमें राष्ट्र निष्ठा से परिपूर्ण शिक्षित नागरिकों का निर्माण करना है ताकि हम पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन हो सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस महाकुंभ के चिंतन और मंथन से जो परिणाम निकलेंगे उनकी रोशनी से भारत का उच्च शिक्षा जगत प्रकाशित होगा और उच्च शिक्षा की दशा और दिशा के क्षेत्र में यह आयोजन एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का देवभूमि की समस्त जनता की ओर से उत्तराखण्ड में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में अपने उत्कृष्ट कानूनी ज्ञान एवं बौद्धिक कौशल के लिए जाने जाते हैं। उपराष्ट्रपति जी के सरंक्षण में संसद का उच्च सदन अर्थात राज्यसभा देश के विकास, लोककल्याण, कमजोर वर्ग के उत्थान के प्रयासों के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है एवं उनके व्यापक अनुभव तथा विभिन मुद्दों की गहरी समझ, राष्ट्र को लाभान्वित कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि महान शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रूप में ये अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी थीं, उसका हिस्सा बनना प्रेरक और आनंददायक है।
उन्होंने कहा की अपने देश को महान बनाने के लिए हमें वेदों की ओर लौटना होगा। वेदों की ओर लौटने के महर्षि दयानंद के उद्घोष को अपने जीवन का ध्येय बनाना होगा। इस प्रकार के कार्यक्रमों से वेदों के ज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ हमारा दर्शन है और इसी आधार पर भारत ने ‘‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’’ के विचार के साथ जी-20 में दुनिया का नेतृत्व किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से पंच प्रण का मंत्र दिया था। उसमें एक प्रण है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, अभूतपूर्व रूप से भारत का सांस्कृतिक उत्थान हो रहा है और लोगों में अपनी प्राचीन विरासत के प्रति गौरव का भाव उत्पन्न हो रहा है। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ के स्वप्न को साकार करने हेतु उत्तराखंड की हमारी डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत ढाई वर्ष में हमने कुछ ऐसे महत्वपूर्ण और कठोर निर्णय लिए हैं, जो विगत 23 वर्षों में नहीं लिए गए थे,राज्य सरकार ‘सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘ निर्माण के अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा आगामी समय में उत्तराखंड देश का सबसे समृद्धशाली और सशक्त राज्य हो, इस भावना के साथ हम सभी को साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
उप राष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती डॉक्टर सुदेश धनखड़, कुलाधिपति डॉक्टर सत्यपाल सिंह, नगर विधायक मदन कौशिक, रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, पूर्व कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद, पूर्व विधायक सुरेश राठौर, संजय गुप्ता, महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, महानिर्वाणी के महन्त रविन्द्र पुरी, आई0जी0 गढ़वाल के0एस0 नगन्याल, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोभाल, कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु, कुल सचिव प्रोफेसर सुनील कुमार, कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर प्रभात कुमार, मुख्याधिष्ठाता डॉक्टर दीनानाथ शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, छात्र,छात्रायें, साधु-सन्त तथा विशिष्ठजन उपस्थित थे,Vice President