चिन्मय पंड्याअंतर संसदीय संघ सम्मेलन में शामिल होने वाले अकेले भारतीय
Chinmoy Pandya is the only Indian to attend the Inter-Parliamentary Union Conference
पंड्या के विचारों ने 179 देशों के सांसदों को किया प्रभावित
हरिद्वार 15 जून अंतर संसदीय संघ के 179 देश सदस्य हैं और इनका प्रथम वैश्विक सम्मेलन मोरक्को अफ्रीका में संपन्न हुआ।
134 वर्ष के अनुभवी इस संघ के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि वक्ता के रूप में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या उपस्थित रहे।
और उन्हें प्रतिवादी वक्ता होने का भी विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में 70 देशों के संसदीय प्रतिनिधिमंडल तथा 20 से अधिक देशों के संसद के अध्यक्षों ने भाग लिया।
गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का विचार युग परिवर्तन जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य मनुष्य के विचार परिवर्तन से ही प्रारंभ होगा, के साकार होने की प्रक्रिया की आहट को तब सुना गया जब अंतर-संसदीय संघ (संयुक्त राष्ट्र संघ को स्थापित करने वाली संस्था में से एक) द्वारा एक वृहद वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन मार्राकेश, मोरक्को में संपन्न हुआ जहां अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी सदस्य एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने गायत्री परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए 700 से अधिक प्रतिभागियों को संबोधित किया और उन्हें युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी एवं माता भगवती देवी शर्मा के वसुधैव कुटुंबकम् के भाव से परिचित कराया।
युवा उत्प्रेरक एवं करिश्माई व्यक्तित्व के धनी डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने आचार्यश्री के विचारों को तर्क, तथ्य एवं प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विशेष रूप से विशिष्ट अतिथियों में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड एल्टन सहित अनेक स्थापित हस्ताक्षर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के पश्चात ट्विटर के माध्यम से उद्बोधन की सराहना करते हुए उन्होंने लिखा कि- संस्कृत साहित्य के उद्धरण से भारत के डॉ चिन्मय पंड्या ने सृष्टि एवं हमारे संबंधों पर प्रकाश डालने के साथ ही समाज को अपने अस्तित्व के मूलभूत प्रश्नों के अन्वेषण की सामयिक अवश्यकता की बात कही।