Gurukul,परोपकार और मानवीय मूल्यों से सम्पन्न है भारत की संस्कृति – अर्जुन राम मेघवाल

Gurukul, India’s culture is rich in philanthropy and human values ​​- Arjun Ram Meghwal

Gurukul, वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के दूसरे दिन “भारत की संस्कृति की वर्तमान चुनौतियां,स्वामी दयानन्द एक समाधान” विषयक प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि केन्द्रीय कानून एवं न्याय, संस्कृति मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत भूमि परोपकार की भूमि हैं यहाँ मानवीय मूल्य हमें एक संस्कार के रूप में सिखाए जाते हैं।

Gurukul, अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे के पूरक होते हैं स्वामी दयानंद सरस्वती का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम राष्ट्रसेवा के लिए खुद को समर्पित कर दे।

Gurukul,परोपकार और मानवीय मूल्यों से सम्पन्न है भारत की संस्कृति - अर्जुन राम मेघवाल
Gurukul,परोपकार और मानवीय मूल्यों से सम्पन्न है भारत की संस्कृति – अर्जुन राम मेघवाल

उन्होने एक गीत के माध्यम से मनुष्य जीवन के अभीष्ट आत्म चेतना के विकास का उद्देश्य के बारे जागरूक करते हुए कहा कि हमें आज के दिन संकल्प लेना चाहिए कि हम संस्कृति के संरक्षण के लिए स्वयं को हमेशा प्रस्तुत करेंगे।

Gurukul, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि स्वामी रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद ने जातिवाद को समाप्त करने का मार्ग दिखाया है वेद पढ़ने वाले सभी ईश्वर की संतान हैं इसलिए वेद, जात और संप्रदाय से इतर मनुष्य बनने की बात करता है। स्वामी रामदेव ने कहा कि आजादी के आंदोलन के इतिहास में गुरुकुल काँगड़ी की उल्लेखनीय भूमिका रही है यह एक तपोभूमि है इस पुण्य भूमि से वैदिक ज्ञान विज्ञान सारे विश्व में पहुँचना चाहिए।

स्वामी रामदेव ने विश्वविद्यालय के छात्रों से आहवाह्न किया कि दुनिया आचरण से बदलती हैं इसलिए वे अपने आचरण गुरुकुलीय परंपरा को अनिवार्य रूप से शामिल करें। स्वामी रामदेव ने कहा कि सबको अर्थ को परमार्थ में बदलने का संकल्प लेना चाहिए।

Gurukul, वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ के मुख्य संरक्षक सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि संस्कृति का सबसे बड़ा उद्देश्य लक्ष्य को बेधना सिखाना है स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द के बताए मार्ग पर पर चलकर हम संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं।

डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय वैदिक ज्ञान-विज्ञान को विश्व पटल पर स्थापित करने का कार्य करेगा।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि स्वामी दयानंद ने नारी शिक्षा, वेदोद्धार, दलितोद्धार और नारी शिक्षा के लिए जो कार्य किया है उसने देश की दशा और दिशा बदलने का कार्य किया था।

प्रो. शतांशु ने कहा गुरुकुल वैदिक विषयों को प्राच्य विद्या के अलावा विज्ञान, तकनीकी, प्रबंधन विषयों मे भी वैदिक विषय के शिक्षण का कार्य कर स्वामी दयानंद के सपनों को साकार कर रहा है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने कहा कि वर्तमान संस्कृति में विकृति के निदान स्वामी दयानन्द के जीवन दर्शन से मिलते हैं आज अशांत विश्व में विश्व शांति केवल वेद के माध्यम से ही संभव हैं।

स्वामी आर्यवेश ने कहा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े खतरों से निबटने के लिए हमें वेद विज्ञान की तरफ लौटना होगा।

इस सत्र का संचालन डाक्टर अजय मलिक ने और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने किया।

सत्र में , स्वामी प्रणवानन्द, स्वामी आदित्यवेश, स्वामी सुधानन्द योगी, सफाई मजदूर संघ के नेता विशाल बिरला, गुरुकुल के पूर्व छात्र छात्र आईपीएस आनंद कुमार, डॉ. दीनानाथ, मुख्य संयोजक प्रो. प्रभात कुमार, प्रो. सुचित्रा मलिक, प्रो.ओम प्रकाश पाण्डेय, प्रो. डी. एस. मलिक, डॉ. गगन माटा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. शिव कुमार चौहान, डॉ. अजित तोमर, डॉ. पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त नेगी सहित छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।

अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रस्तुति के लिए प्राप्त शोध पत्र सारांश की प्रकाशित स्मारिका का विमोचन केंद्रीय कानून एवं न्याय, संस्कृति मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, स्वामी रामदेव, स्वामी आर्यवेश, स्वामी आदित्यवेश, स्वामी प्रणवानन्द, डॉ. सत्यपाल सिंह, कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु , कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, प्रो. डी. एस. मलिक, डॉ. गगन माटा के द्वारा किया गया। अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया तथा ऑनलाइन/ऑफलाइन माध्यम से 700 से अधिक शोध पत्रों का वाचन इस अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में किया जाएगा।

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