‌ बंगलादेश देश में देवी सती का गला जहां गिरा, स्थापित है शैल महालक्ष्मी -अधोक्षजानंद

मातृ शक्ति ही भगवान महादेव की परम शक्ति हैं – शंकराचार्य अधोक्षजानंद

बांग्लादेश में श्री शैल महालक्ष्मी शक्ति पीठ दर्शन-पूजन और किया यज्ञ

सैकड़ों साल बाद शंकराचार्य के आगमन से धन्य हुई बांग्लादेश की धरती- मंदिर समिति

ढाका । गोर्वधन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने आज बांग्लादेश स्थित श्री शैल महालक्ष्मी शक्ति पीठ में देवी का दर्शन और पूजन किया। इस दौरान शंकराचार्य ने कहा कि मातृ शक्ति के बगैर भगवान महादेव भी अधूरे हैं।

जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि भगवान शिव परम तत्व हैं तो मातृ शक्ति इस परम तत्व का एक अभिन्न अंग हैं। आदि शक्ति परम तत्व की परम शक्ति हैं। एक दूसरे के बिना यह सृष्टि न तो जन्म ले सकती है और न ही जीवित रह सकती है। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने 24 अवतार लिए हैं, लेकिन उनकी शक्तियों में भी मातृ शक्ति ही निहित हैं।

तत्व ज्ञान की चर्चा करते हुए स्वामी देव तीर्थ जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का जीवन अन्य जीव जंतुओं से इतर इसलिए है कि वह धर्म का पालन करता है। ‘‘धर्मो रक्षति रक्षितः’’ सूत्र वाक्य का विश्लेषण करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि मानव यदि अपने धर्म की रक्षा करता है तो समय आने पर धर्म भी उसकी रक्षा करता है।

स्वामी अधोक्षजानंद आज जब सिलहट जिले के जैनपुर गांव स्थित श्री शैल महालक्ष्मी शक्ति पीठ पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष चंदन दास, बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पन्नालाल राय, बांग्लादेश की सत्तारुढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता देवांशु दास समेत सैकड़ों युवाओं और महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जगद्गुरु का अभिवादन किया।

इस अवसर पर भारत के त्रिपुरा राज्य की विधानसभा के उपाध्यक्ष राम प्रसाद पाल ने जगद्गुरु शंकराचार्य की धार्मिक यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि विश्व के कल्याण की कामना से शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज पिछले कई माह से भारत और पड़ोसी देशों में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग और 52 शक्ति पीठों की यात्रा पर हैं। इसी क्रम में वह बांग्लादेश भी यहां स्थित शक्ति पीठों का दर्शन व पूजन करने आए हुए हैं।

वहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष चंदन दास ने कहा कि आज यहां की भूमि पर सैकड़ों साल बाद परमपूज्य शंकराचार्य का आगमन हुआ है। हम लोगों ने तो अपने जीवन में सिलहट की धरती पर पहली बार जगद्गुरु का दर्शन किया है। इनके आने से बांग्लादेश की धरती आज धन्य हो गई है।

इसके बाद जगद्गुरु देवतीर्थ ने विधिविधान से श्री शैल महालक्ष्मी का पूजन और यज्ञ किया। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में ‘माता महालक्ष्मी की जय हो’, ‘हर-हर महादेव’ और ‘शंकराचार्य महाराज की जय हो’ के नारे लगातार गुंजायमान हो रहे थे। पूजन और यज्ञ के बाद शंकराचार्य ने वहां उपस्थित विशाल जनसमूह को आशीर्वाद दिया।

बंगभूमि में स्वाहा की भी गूंज, शक्ति पीठ पर शंकराचार्य ने किया यज्ञ

दर्शन-पूजन और आशीर्वचन के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य ने श्री शैल महालक्ष्मी शक्ति पीठ पर यज्ञ का भी आयोजन किया। शंकराचार्य की धर्म यात्रा में उनके साथ चल रहे विद्वान आचार्यों ने वैदिक मंत्रों के साथ विधिवत यज्ञ का अनुष्ठान कराया। जगद्गुरु के साथ त्रिपुरा विधानसभा के उपाध्यक्ष राम प्रसाद पाल ने यज्ञ में आहुतियां डाली। इस दौरान वैदिक मंत्रों और स्वाहा के उच्चारण से बंगभूमि गूंज उठी। साथ ही शक्ति पीठ पर उपस्थित स्थानीय भक्तों में सनातन धर्म के प्रति आस्था और विश्वास का तेजी से संचार हुआ।

श्री शैल महालक्ष्मी शक्ति पीठ बांग्लादेश की राजधानी ढाका से करीब 260 किलोमीटर दूर है। यह शक्ति पीठ सिलहट जिले जैनपुर गांव में स्थित है। मान्यता है कि यहां माता सती का गला (ग्रीवा) गिरा था। इस देवी की शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
भैरव शम्बरानंद का मंदिर माता के मंदिर से थोड़ी दूर स्थित है। जगद्गुरु शंकराचार्य भैरव मंदिर जाकर वहां भी विधिविधान से पूजन करते हैं।

बांग्लादेश के सिलहट यात्रा के दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य आज वहां स्थित करीब 103 साल पुराने श्रीहट्ट संस्कृत विद्यालय भी गए। विद्यालय के प्रधानाचार्य डा. दिलीप कुमार दास चौधरी, संस्कृत के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश शर्मा, प्रो. विद्युत ज्योति चक्रवर्ती, डा. उत्तम कुमार सरकार और प्रो. अरुण चक्रवर्ती समेत विद्यालय के अन्य अध्यापकों और छात्रों ने जगद्गुरु देवतीर्थ का भव्य स्वागत किया। इस दौरान शंकराचार्य जी को बताया गया कि श्रीहट्ट संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान तत्कालीन भारत सरकार के असम प्रदेश अन्तर्गत वर्ष 1920 मे हुई थी। महाविद्यालय की स्थापना के लिए तत्कालीन जमींदार अजय कृष्ण राय ने 18 बीघे जमीन दान में दी थी।
प्रधानाचार्य डा. दिलीप कुमार दास चौधरी ने शंकराचार्य जी को बताया कि वर्तमान में यहाँ 400 हिन्दू और मुस्लिम छात्र पढते हैं। यहां संस्कृत, नव्य व्याकरण, षडदर्शन, आयुर्वेद आदि अनेक विषय पढ़ाये जाते हैं। शंकराचार्य ने विद्यालय में उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर आशीर्वाद भी दिया।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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