अल्जाइमर पर चिंतन, और विश्व शांति की खोज

पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘विश्व

 अल्जाइमर दिवस’एवं ‘विश्व 

शान्ति दिवस’का आयोजन

योग से मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के प्रबन्धन की परिकल्पना के साथ हर वर्ष विश्व भर में 21 सितम्बर को ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ एवं ‘विश्व शान्ति दिवस’के रूप में मनाया जाता है।

पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’एवं ‘विश्व शान्ति दिवस’का आयोजन
पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’एवं ‘विश्व शान्ति दिवस’का आयोजन

आयुर्वेद एवं अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के अनुप्रयोग से मानव के मनो-शारीरिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाना एवं
सुख शान्ति से युक्त जीवन प्रदान करने का लक्ष्य लिये स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में पतंजलि योगपीठ ऐसे आयोजनों का प्रतिनिधित्व करता है, अल्जाइमर्स वर्तमान समय की बडी और ज्वलंत समस्या बन सामने आ रही है इसी पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों से चर्चा के लिए विषय विशेषज्ञ 21 सितंबर विश्व अल्जाइमर्स डे पर पतंजलि योगपीठ में एकत्र हुए और अल्जाइमर्स पर चर्चा की।
‘अल्जाइमर’एक मानसिक रोग की श्रेणी में आता है जिसका मुख्य लक्षण भूल जाने से सम्बन्धित है। वैसे तो भूलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है तथा इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिकों द्वारा कई सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है।

पतंजलि वि.वि. के मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्व अल्जाइमर्स दिवस पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

सम्मेलन के विधिवत् उद्घाटन के पश्चात् आयोजन सचिव एवं मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ वैशाली गौड़ ने सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत-परिचय कराया एवं इस दिशा में मनोविज्ञान विभाग के कार्यों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। साथ ही उन्होंने बताया कि सामाजिक जागरूकता को बढ़ाकर इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किया जा सकता है।

सेमिनार में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में प्रो. मनीष अस्थाना, वरिष्ठ आचार्य आई.आई.टी.रूड़की का व्याख्यान सम्पन्न हुआ। प्रो.अस्थाना ने अल्जाइमर के वर्तमान आंकड़े एवं प्रभाव इसके मुख्य लक्षण व सम्भावित कारणों की विषद् चर्चा की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं संकायाध्यक्ष (अनुसंधान) प्रो. मनोज कुमार पटैरिया एवं संकायाध्यक्ष (शिक्षण) प्रो. वी.के. कटियार ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए इस दिशा में नवीन शोध कार्य हेतु प्रेरित किया।

पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर के पूर्व कुलपति प्रो. राजा राम यादव ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए पतंजलि द्वारा विश्व शान्ति हेतु किये गये प्रयासों की सराहना की एवं सबके शान्ति-समृद्धि की कामना की। इस मौके पर भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव ने सबको अपने ओजस्वी सम्बोधन से लाभान्वित किया तथा विभिन्न आर्ष ग्रन्थों का सन्दर्भ देते हुए योग मनोविज्ञान को समझाया।

इस अवसर पर सम्मेलन के सह-सचिव एवं मनोविज्ञान के सह-आचार्य डॉ. अभिषेक भारद्वाज ने अतिथियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में बताया कि प्रतिवर्ष लाखों लोग विश्व में इस रोग से ग्रसित होते हैं जिससे उनकी संज्ञानात्मक क्षमता का ह्रास होता है जिसके परिमाणस्वरूप उन्हें व्यावहारिक परेशानियाँ भी झेलनी पड़ती है। मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों द्वारा कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया तथा कई रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियाँ भी दी गयी जिससे विद्यार्थी, शोधार्थी एवं विभिन्न विषयों के आचार्य लाभान्वित हुए। इस आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, संकायाध्यक्ष (योग विभाग) प्रो. ओम नारायण तिवारी, संकायाध्यक्ष प्राकृतिक चिकित्सा डा. तोरण सिंह, संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण डा. बिपिन दूबे एवं परीक्षा नियन्त्रक डा. ए.के. सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही।

 

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