भगवान कृष्ण के परममित्र सुदामा ने चोरी के श्रापित चने खुद खा कर कृष्ण को दारिद्रय से बचाया और स्वयं दारिद्रय स्विकार कर लिया- पवन कृष्ण शास्त्री

Lord Krishna’s best friend Sudama saved Krishna from poverty by eating the cursed stolen gram himself and accepted poverty himself – Pawan Krishna Shastri.

भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने हरिद्वार की बिलकेश्वर कालोनी में पूर्व पार्षद एकता सूरी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर भगवान कृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा का प्रसंग सुनाते हुए कहा, जब भगवान कृष्ण और सुदामा सांदीपनी ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो गुरु माता ने दोनों को समिधा के लिए लकड़ी चुनने भेजा।

एक बूढी गरीब औरत अपने भोजन के लिए कुछ चने रख कर स्नान को गई तभी पीछे से कुछ चोरों ने चने चुरा लिए, भूख से व्याकुल बूढी औरत झोपड़ी में वापिस लौट कर आई तो चने चोरी हुए जान कर उसने श्राप दिया कि जो उन चनों को खाये वो दरिद्र हो जाये।
चोरी हुए श्रापित चने अन्य शिष्यों के माध्यम से भीक्षाटन के रूप में गुरु माता के पास पहुंच गए।
जब भगवान कृष्ण और सुदामा गुरु आश्रम के लिए समिधा की लकड़ी चुनने गये तो गुरु माता ने वही चने सुदामा को दिये और दोनों को मिल-बांट कर खाने को कहा।
भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री कहते हैं, सुदामा अपने पूर्व जन्म के पुण्यों कू कारण त्रिकालदर्शी थे, चने की पोटली खोलते ही सुदामा ने चनों के श्राप का पूरा कथानक जान लिया ‌और चने कृष्ण को न देकर सारे चने खुद ही खा लिए और भगवान कृष्ण को दरिद्रता का श्राप लगने से बचा लिया ‌और खुद दारिद्रय स्विकार कर लिया।
पंडित पवन कृष्ण शास्त्री कहते हैं जब कृष्ण द्वारिका के राजा बन गये तो गरीब सुदामा उनके दर पर आया, संकोच वश पत्नी द्वारा दिये मुट्ठी भर चावल कृष्ण से छुपाने का प्रयास कर रहे थे तो भगवान कृष्ण ने आखिरकार ताना दे ही दिया कि हे मित्र पहले तुमने गुरु मां के दिये चने चुरा लिये अब भाभी के चावल चुराना चाहते हो ?
तब सुदामा ने उन चनों की श्राप कथा कृष्ण को सुनाई जिसे सुन भाव विह्वल होकर भगवान ने सुदामा के तंदुल खाकर सुदामा को दारिद्रय मुक्त किया।
श्रीमद्भागवत की कथा का आज हवन यज्ञ के साथ समापन किया जायेगा, बिलकेश्वर कालोनी निवासीयों के साथ ही शहर के अन्य गणमान्य लोगों ने भी श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री के सुंदर कथावाचन की बहुत सराहना की गई।
कथा के आयोजक एकता सूरी, सुरेश सूरी ने आये हुए श्रोताओं का आभार व्यक्त किया, कथा के अंत में हरिद्वार के वरिष्ठ एडवोकेट सुशील कुमार भसीन ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व और प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कथा आयोजनकर्ता परिवार को बहुत शुभकामनाएं दीं और भविष्य में भी कथा आयोजित करने का क्रम जारी रखने का प्रस्ताव दिया।

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